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कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसा रेलवे सुरक्षा में आपराधिक लापरवाही का नतीजा: भाकपा-माले

नई दिल्ली। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन की केंद्रीय कमेटी ने कहा है कि दिनांक 17 जून, 2024 को उत्तर बंगाल के रंगपानी रेलवे स्टेशन के निकट सुबह हुई कंचनजंगा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की भिड़ंत एक दर्दनाक घटना थी। इस हादसे में लगभग 15 लोगों की मृत्यु हो गई और अब तक प्राप्त जानकारियों के अनुसार करीब 60 यात्री घायल हुए हैं। मृतकों में मालगाड़ी के लोकोपायलट, सहायक लोकोपायलट सहित तीन रेल कर्मचारी भी शामिल हैं। रेल सुरक्षा को लेकर भारतीय रेल और केंद्र सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई हैं।

अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति मोदी सरकार जवाबदेह है। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने, सभी घायलों को नि:शुल्क और समुचित चिकित्सा देखभाल तथा पुनर्वास की तत्काल व्यवस्था करें।

लगभग एक वर्ष पूर्व, ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना में 296 लोग मारे गए थे और 1100 से अधिक घायल हुए थे। उस समय भी रेल सुरक्षा के मुद्दे उठाए गए थे। करोड़ों लोगों की सेवा करने वाली भारतीय रेल के प्रति मोदी सरकार का उपेक्षापूर्ण रवैया एक बार फिर उजागर हुआ है। एक ओर सरकार करोड़ों रुपये महंगी रेलगाड़ियों पर खर्च कर रही है, वहीं रेल सुरक्षा के मामले में निरंतर लापरवाही बरती जा रही है।

दुर्घटना रोकने वाली ‘कवच’ तकनीक, जिसका हर दुर्घटना के बाद प्रचार किया जाता है, अभी भी रेलवे नेटवर्क के एक नगण्य हिस्से में ही लागू की गई है। रेलवे का सुरक्षा तंत्र, पर्याप्त रखरखाव और आधुनिकीकरण मोदी सरकार की अनदेखी का शिकार बन रहे हैं। रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) ने रेलवे में सुरक्षा की कमियों का निरीक्षण किया था, लेकिन उनकी रिपोर्ट और सिफारिशों को सरकार द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके विपरीत, ‘व्यवसाय करने में सुगमता’ के नाम पर सीआरएस के अधिकारों में कटौती की गई, रेलवे का निजीकरण और ठेकेदारी तेजी से बढ़ रही है तथा रेल कर्मचारियों की संख्या घटती जा रही है।

रेल सुरक्षा के मुद्दे पर तत्काल एक उच्च स्तरीय समीक्षा और ठोस कार्यान्वयन की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं की आशंका न रहे। साथ ही यह भी अनिवार्य है कि ‘कवच’ को सभी मार्गों पर तत्काल लागू किया जाए, रेलवे का आवश्यक आधुनिकीकरण किया जाए तथा रेलवे में सभी स्तरों पर नई भर्तियां की जाएं। केवल इन कदमों से ही एक मजबूत रेल प्रणाली का पुनर्निर्माण संभव होगा।

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