कोरबा (पब्लिक फोरम। “न्याय किसी वर्ग का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है।” — यह संदेश रविवार को आयोजित राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस कार्यक्रम के अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) कोरबा के अध्यक्ष श्री एस. शर्मा ने दिया।
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के तत्वावधान में, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशन तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिले के न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता, लॉ कॉलेज के विद्यार्थी एवं पैरालिगल वॉलेंटियर्स बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
विधिक सेवा दिवस के अवसर पर न्यायिक जागरूकता से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की गई। कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अतिथियों में विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी) श्री जयदीप गर्ग, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश गरिमा शर्मा, अपर सत्र न्यायाधीश (एफ.टी.एस.सी. पॉक्सो) डॉ. ममता भेजवानी, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सोनी तिवारी, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी सुश्री त्राप्ती राधव, प्रथम अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी सुश्री ग्रेसी सिंह, एवं ज्योति भूषण प्रताप सिंह लॉ कॉलेज की प्राचार्य डॉ. किरण चौहान शामिल थीं।

न्याय सबके लिए – प्रधान जिला न्यायाधीश का संदेश
अपने मुख्य उद्बोधन में प्रधान जिला न्यायाधीश श्री एस. शर्मा ने कहा कि विधिक सेवा दिवस का उद्देश्य आमजन तक कानूनी अधिकारों की जानकारी पहुँचाना, न्याय तक समान पहुंच सुनिश्चित करना और नि:शुल्क विधिक सहायता योजनाओं के प्रति जागरूकता फैलाना है।
उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था का विकास प्राचीन भारत से आधुनिक संविधान तक एक लंबी यात्रा का परिणाम है। मुगल और मगध काल में त्वरित निर्णय दिए जाते थे, परंतु उनमें सुनवाई का अवसर सीमित होता था, जिससे न्याय की पूर्णता नहीं हो पाती थी। स्वतंत्रता के पश्चात देश में स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली की स्थापना हुई—जिसमें सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला एवं व्यवहार न्यायालय शामिल हैं।
फिर भी यह अनुभव किया गया कि समाज का निर्बल वर्ग, गरीब व्यक्ति या वंचित समुदाय न्याय पाने की प्रक्रिया में पीछे रह जाता है। ऐसे नागरिकों को सहायता देने हेतु संविधान के अनुच्छेदों में संशोधन कर विधिक सेवा प्राधिकरणों की स्थापना की गई, जो आज न्याय की समान पहुंच सुनिश्चित करने का कार्य कर रहे हैं।
कानूनी शिक्षा की भूमिका
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. किरण चौहान, प्राचार्य — ज्योति भूषण प्रताप सिंह लॉ कॉलेज कोरबा, ने कहा कि राष्ट्रीय, राज्य और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण समाज में कानूनी साक्षरता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि न्याय के क्षेत्र में सामाजिक जागरूकता उतनी ही आवश्यक है जितनी विधिक जानकारी, ताकि कोई भी व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित न रहे।
सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम का मूल उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि— “अदालतें, निःशुल्क विधिक सहायता और विधिक साक्षरता अभियान समाज में न्याय की सुलभता सुनिश्चित करते हैं। ‘कानूनी सहायता सबके लिए, हर समय’ की थीम इस वर्ष का मुख्य संदेश है।”
कार्यक्रम में लीगल एड डिफेंस काउंसिल कोरबा के अधिवक्ता, विधि कॉलेज के विद्यार्थी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी और पैरालिगल वॉलेंटियर्स भी शामिल हुए।
विधिक सेवा दिवस ने यह स्पष्ट किया कि न्याय केवल कुछ लोगों का अधिकार नहीं बल्कि यह सबका अधिकार है। इस अवसर पर दिए गए संदेश ने समाज में न्यायिक साक्षरता, संवैधानिक समानता और निःशुल्क कानूनी सहायता की आवश्यकता को दोहराया।





Recent Comments