संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच ने रायपुर में किया बड़ा ऐलान, निजीकरण और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हुंकार!
रायपुर (पब्लिक फोरम)। देश में श्रमिक अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ अब निर्णायक संघर्ष की घोषणा हो चुकी है। 9 जुलाई 2025 को 20 करोड़ से अधिक मजदूर, किसान और कर्मचारी एकजुट होकर केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों, खासकर 04 लेबर कोड (श्रम संहिता) की वापसी की मांग को लेकर देशव्यापी आम हड़ताल करेंगे। इस निर्णय की जानकारी ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच, छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में दी गई।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त मंच के छत्तीसगढ़ संयोजक धर्मराज महापात्र समेत विभिन्न श्रमिक संगठनों के नेताओं ने बताया कि यह हड़ताल न केवल श्रम कानूनों की बहाली के लिए है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पेंशन, न्यूनतम मजदूरी और सार्वजनिक क्षेत्र की लूट के खिलाफ भी है।
लेबर कोड: अधिकारों पर हमला
नेताओं ने बताया कि कोरोना महामारी की आड़ में केंद्र की भाजपा सरकार ने मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म कर केवल चार श्रम संहिताएं बना दीं, जिनसे मजदूरों के दशकों पुराने अधिकार खत्म हो गए। अब यूनियन बनाना कठिन हो गया है, हड़ताल पर जाना अपराध घोषित किया जा सकता है, और काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए हैं।
महिलाओं को बिना पर्याप्त सुरक्षा के रात्रि पाली में काम करने की अनुमति दी गई है। न्यूनतम वेतन, ईपीएफ, स्वास्थ्य लाभ जैसे अधिकारों को 40 से कम कामगार वाले संस्थानों से हटा दिया गया है। यह सब पूंजीपतियों के लाभ के लिए किया गया है, जिसमें मजदूर केवल मुनाफा पैदा करने वाला माध्यम बनकर रह गया है।

सार्वजनिक संपत्तियों का निजीकरण: देश की लूट
संयुक्त मंच ने आरोप लगाया कि रेलवे, बैंक, बीमा, बिजली, बंदरगाह, कोयला, तेल, डाक, आयुध निर्माणियां जैसी सार्वजनिक संपत्तियों का निजीकरण तेजी से किया जा रहा है, जिससे देश की आर्थिक संप्रभुता खतरे में है। स्मार्ट मीटर के नाम पर उपभोक्ताओं से 10,000 रुपये तक की वसूली निजी कंपनियों को दी जा रही है।
मनरेगा, आंगनबाड़ी, आशा वर्कर की उपेक्षा
मंच ने बताया कि सरकार मनरेगा के बजट में कटौती, आंगनबाड़ी, आशा वर्कर, मिड डे मील कर्मियों के प्रति उपेक्षा, और उन्हें मिलने वाले मानदेय में देरी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सेवानिवृत्त ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं हो रहा।
प्रमुख मांगें
– चारों श्रम संहिताएं रद्द हों।
– 26,000 रुपए न्यूनतम वेतन व हर 5 वर्ष में संशोधन।
– सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद हो।
– खाली पदों पर भर्ती व बेरोजगारी भत्ता।
– पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।
– सभी मजदूरों को समान काम के लिए समान वेतन
– मनरेगा में 200 दिन का काम व मजदूरी में वृद्धि।
– शिक्षा और स्वास्थ्य का व्यापारीकरण बंद हो।
– किसानों को लाभकारी समर्थन मूल्य की गारंटी।
– महिला, असंगठित, गिग व प्लेटफार्म श्रमिकों को श्रमिक दर्जा व सुरक्षा।
छत्तीसगढ़ की जनता से अपील
संयुक्त मंच में शामिल इंटक, एचएमएस, एटक, सीटू, एक्टू, एआईबीईए, सीजेडआईई, बीएसएनएलईयू, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति सहित अन्य ट्रेड यूनियनों ने छत्तीसगढ़ के सभी मजदूरों, कर्मचारियों, युवाओं और आम नागरिकों से अपील की कि वे 8 जुलाई को मशाल जुलूस, केंडल मार्च व मोटर रैली में शामिल होकर 9 जुलाई की संपूर्ण भारत बंद/हड़ताल को ऐतिहासिक सफलता प्रदान करें।
यह हड़ताल केवल एक दिन का आंदोलन नहीं, बल्कि भारत के श्रमिक वर्ग के अस्तित्व, अधिकार और सामाजिक न्याय की रक्षा की निर्णायक शुरुआत है।
Recent Comments