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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025
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जनदर्शन: क्या वास्तव में जनता की समस्याओं का समाधान कर पा रहा है शासन प्रशासन?

रायपुर (पब्लिक फोरम)। शासन-प्रशासन का मुख्य उद्देश्य जनता की समस्याओं का समाधान करना और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करना है। इसके लिए मंत्रालय से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक विभागीय इकाइयों और अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। लेकिन इसके बावजूद आम जनता छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है। जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी जनता का काम समय पर निपटाने के बजाय उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान करते हैं।

कलेक्टर और मुख्यमंत्री जनदर्शन की आवश्यकता क्यों?

सरकार ने हर विभाग में पर्याप्त अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति की है। पंचायत स्तर पर भी शासन-प्रशासन के प्रतिनिधि नियुक्त हैं। बावजूद इसके, जनता को अपनी बुनियादी समस्याओं के लिए भटकना पड़ता है।

राज्य के विभिन्न जिलों में प्रत्येक सप्ताह आयोजित होने वाले कलेक्टर जनदर्शन में लोग जमीन का सीमांकन, नामांतरण, बंटवारा, ऋण पुस्तिका, राशन कार्ड, पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ, मनरेगा मजदूरी भुगतान जैसी समस्याओं के समाधान की उम्मीद में पहुंचते हैं। इसके अलावा भ्रष्टाचार, पुलिस प्रताड़ना और मूलभूत सुविधाओं की कमी की शिकायतें भी होती हैं।

यह विडंबना ही है कि जिन समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासनिक व्यवस्था पहले से है, उनके लिए लोगों को अलग से कलेक्टर या मुख्यमंत्री जनदर्शन का सहारा लेना पड़ता है।

कलेक्टर जनदर्शन से समाधान की कितनी गारंटी?

जनता कलेक्टर जनदर्शन में उम्मीद लेकर पहुंचती है कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्दी होगा। लेकिन सच्चाई यह है कि यहां भी समस्याओं का समाधान महीनों या सालों तक जांच और प्रक्रियाओं में उलझा रहता है। आवेदकों को कार्य की प्रगति की जानकारी तक नहीं दी जाती। इससे लोगों का कलेक्टर जनदर्शन पर भरोसा घट रहा है।

यह स्थिति बताती है कि क्या कलेक्टर जनदर्शन केवल औपचारिकता बनकर रह गया है? शिकायतों के समाधान के लिए समयसीमा और जवाबदेही तय न होने से यह योजना बेअसर साबित हो रही है।

कितना कारगर है, मुख्यमंत्री जनदर्शन?

मुख्यमंत्री जनदर्शन में भी राज्य के दूर-दराज इलाकों से लोग अपनी फरियाद लेकर आते हैं। लेकिन यहां भी समस्याओं के समाधान की स्थिति लगभग वैसी ही है। मुख्यमंत्री के अन्य प्रशासनिक कार्यों के कारण कई बार जनदर्शन स्थगित हो जाता है।
मुख्यमंत्री जनदर्शन के आवेदनों को अधिकारी और कर्मचारी गंभीरता से नहीं लेते। जानकारों के अनुसार, इन आवेदनों पर केवल औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं और गलत रिपोर्ट बनाकर शासन को भ्रमित किया जाता है।

जनदर्शन का मूल उद्देश्य जनता की समस्याओं का समाधान करना है। लेकिन जब तक शिकायतों के समाधान के लिए समयसीमा और जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक यह प्रक्रिया जनता के लिए केवल छलावा साबित होती रहेगी।

सरकार को चाहिए कि वह जनदर्शन को अधिक प्रभावी बनाए।

समयसीमा निर्धारित करें: हर आवेदन के समाधान के लिए स्पष्ट समयसीमा तय की जाए।
जवाबदेही सुनिश्चित करें: संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को जवाबदेह बनाया जाए।
पारदर्शिता बढ़ाएं: आवेदकों को उनकी शिकायतों की प्रगति की नियमित जानकारी दी जाए।
भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करें: शिकायतों के निवारण में भ्रष्टाचार पर सख्त नजर रखी जाए।

कलेक्टर और मुख्यमंत्री जनदर्शन जैसे कार्यक्रम जनता की समस्याओं के समाधान का एक मंच हैं। लेकिन यदि इन कार्यक्रमों को केवल औपचारिकता बनाकर छोड़ा गया, तो यह जनता के साथ विश्वासघात होगा। शासन-प्रशासन को चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाए और जनता को उनकी समस्याओं का शीघ्र और स्थायी समाधान प्रदान करे। यही सुशासन का असली उद्देश्य है।

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