कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले में हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना की हालत दिनोंदिन बदतर होती जा रही है। ग्रामीण बस्तियों, पंचायत भवनों, अस्पतालों और आंगनबाड़ी केंद्रों तक स्वच्छ पानी पहुंचाने की यह महत्वाकांक्षी योजना लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कई स्थानों पर टंकियों का निर्माण अधूरा पड़ा है और जहां टंकियां पूरी हैं, वहां पंप नहीं लगाए गए हैं। कई बस्तियों में नल कनेक्शन होने के बावजूद पानी नहीं पहुंच पा रहा है, जबकि इस योजना को 2024 तक पूरा किया जाना था। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।

कोरबा जिले में जल जीवन मिशन के तहत 703 गांवों का चयन किया गया है, जहां हर घर तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है। दुर्भाग्यवश, कुछ ही गांवों में यह योजना सफलतापूर्वक लागू हो पाई है। जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण इलाकों में योजना की हालत बेहद खराब है। कई पंचायतों में टंकी निर्माण का कार्य पिछले चार वर्षों में पूरा हो चुका है, फिर भी ग्रामीणों को स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है। पाइपलाइन बिछाने के लिए गांव की गलियों की सड़कों को तोड़ा गया, लेकिन मरम्मत नहीं होने से बरसात में ग्रामीणों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरन ग्रामीणों को दूर-दूर तक जंगलों में जाकर नालों और गड्ढों से पीने का पानी लाना पड़ता है, जिससे मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ता जल जीवन मिशन
कोरबा जिले में घरेलू नल कनेक्शन देने के मामले में जल जीवन मिशन सबसे पीछे है। केंद्र सरकार का लक्ष्य था कि 2024 तक हर घर को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो, लेकिन कोरबा में योजना की प्रगति संतोषजनक नहीं है। कहीं टंकियों से पानी की सप्लाई नहीं हो रही है, तो कहीं बोरवेल फेल हो चुके हैं। कई स्थानों पर पाइपलाइन का कार्य अधूरा पड़ा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में नल के कनेक्शन सिर्फ दिखावे के लिए रह गए हैं और लाखों रुपये खर्च करके तैयार की गई टंकियां सफेद हाथी साबित हो रही हैं। ठेकेदारों द्वारा निर्माण स्थलों पर सूचना बोर्ड न लगाने से लोगों को कार्य की शुरुआत, पूर्णता और लागत की जानकारी नहीं मिल पाती। हर साल गर्मियों से पहले प्रशासन द्वारा पेयजल आपूर्ति को दुरुस्त करने के निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी रहती है।

बाउंड्री वॉल का भी हाल बेहाल
मल्दा ग्राम पंचायत में बनी टंकी की सुरक्षा के लिए बाउंड्री वॉल अधूरी पड़ी है और जो बनी थी, उसकी ईंटें ग्रामीणों द्वारा चुराई जा रही हैं। उप सरपंच धनि राम के निर्देश पर ये ईंटें निजी उपयोग के लिए ले जाई जा रही हैं। हालांकि, उप सरपंच ने इस बात से इनकार किया और ठेकेदार के काम में कमी की बात कही। टंकी की बाउंड्री न होने के कारण यह असुरक्षित है और बच्चे खेलते-खेलते टंकी पर चढ़ सकते हैं, जिससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना घट सकती है। जिले के कई पंचायतों में ऊंची पानी टंकियां विद्यालयों के निकट बनी हुई हैं, जहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। ऐसे में किसी भी दुर्घटना की स्थिति में जिम्मेदारी तय करना मुश्किल हो जाता है।

अधूरी योजना, अधूरे वादे
जल जीवन मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक महत्वाकांक्षी योजना है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई और गरीबों के घर तक पानी नहीं पहुंच सका। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद उम्मीद थी कि इस योजना पर तेजी से काम होगा, लेकिन आठ महीने बीत जाने के बाद भी पर्याप्त सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।
कोरबा जिले में जल जीवन मिशन की स्थिति बेहद दयनीय है। अधूरी टंकियां, विफल बोरवेल, और अधूरी पाइपलाइनें योजना की सफलता में बड़ी बाधाएं बनी हुई हैं। ठेकेदारों और प्रशासन की घोर लापरवाही ने इस योजना को एक सफेद हाथी बना दिया है, जिससे करोड़ों की लागत के बावजूद ग्रामीणों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकार को इस दिशा में तुरंत और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि योजना का वास्तविक लाभ लोगों तक पहुंच सके।
Recent Comments