शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2024
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इज़राइल की बड़ी जीत: 1-1 टन के 85 बम गिराकर हिज़्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह का खात्मा!

इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच चल रहे संघर्ष में इज़राइल ने एक बड़ा दावा किया है। इज़राइली सेना (IDF) ने कहा है कि हिज़्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह को एक हवाई हमले में मार गिराया गया है। यह हमला बेरूत में हिज़्बुल्लाह के हेडक्वार्टर पर किया गया, जहां इज़राइल ने एक-एक टन के 85 बम गिराए।

इस पूरे ऑपरेशन की शुरुआत तब हुई जब इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया। भाषण में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस युद्ध को इज़राइल ही जीतेगा। इसके बाद, नेतन्याहू ने होटल के अपने कमरे से हिज़्बुल्लाह के हेडक्वार्टर पर हवाई हमले का आदेश दिया। इस हमले में इज़राइल ने अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया और हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय को निशाना बनाया।

इज़राइली सेना का दावा
इज़राइली रक्षा बलों का दावा है कि इस हमले में हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह मारे गए हैं। उनका मानना है कि नसरल्लाह की मृत्यु के बाद हिज़्बुल्लाह की ताकत और प्रभाव में कमी आएगी और अब वह दुनिया को डराने में असमर्थ रहेगा।

“इस पूरे मामले में इज़राइल ने अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करते हुए यह संदेश दिया है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। लेकिन इस प्रकार के हमले अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और मानवीय मूल्यों के दृष्टिकोण से काफी विवादास्पद होते हैं। यहाँ पर सवाल उठता है कि क्या नसरल्लाह की मृत्यु से क्षेत्र में शांति स्थापित हो सकेगी, या यह संघर्ष और बढ़ेगा?”

इज़राइल द्वारा नसरल्लाह के मारे जाने का दावा कितना सही है, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है, क्योंकि हिज़्बुल्लाह की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस स्थिति में, स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच की आवश्यकता है ताकि वास्तविकता सामने आ सके।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी यह समय चिंतन का है कि क्या इस प्रकार के एकतरफा सैन्य अभियानों से शांति स्थापित की जा सकती है या यह उग्रवाद को और बढ़ावा देगा। इसके साथ ही, संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं की भी जिम्मेदारी है कि वह इस प्रकार की घटनाओं पर निष्पक्ष और ठोस कार्रवाई करे।
इस घटना ने मध्य-पूर्व में एक बार फिर से तनाव को बढ़ा दिया है। इज़राइल का यह दावा, अगर सही है, तो यह हिज़्बुल्लाह के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही क्षेत्र में शांति और स्थिरता की संभावनाएं भी कम हो सकती हैं। इस स्थिति में सभी पक्षों को संयम बरतने की आवश्यकता है ताकि निर्दोष नागरिकों की जान की रक्षा की जा सके और शांति की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें। 

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