आदिवासी समाज के लिए कार्य करना, उन्हें जागरूक करना क्या अब शासकीय अपराध है?
जिला कबीरधाम (छत्तीसगढ़) के दस शिक्षक-शिक्षिकाओं का स्थानांतरण आदेश (प्रशासनिक) निकाला गया है। ये सभी शिक्षा विभाग में शिक्षकीय कार्य करते हुए अपने आदिवासी समुदाय को जागृत करने के साथ-साथ, जिले में होने वाले शोषण, अत्याचार, बलात्कार आदि विषयों पर मुखरता के साथ आदिवासी समाज के पक्ष में तन, मन, धन से खड़े रहते थे।
ये सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं सर्व आदिवासी समाज, गोंड समाज, अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद जैसे संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता हैं। इनकी सक्रियता एवं अन्य समाज कर्मियों के कारण ही कबीरधाम (कवर्धा) जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में आज आदिवासी अपने हक-हकूक के लिए जागरूक दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में एक आदिवासी छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में आदिवासी समाज ने शासन-प्रशासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था। गोंड समाज की धर्म ध्वजा व धर्मस्थल को बचाने के लिए भी उग्र आंदोलन हुआ है।
राज्य में आरएसएस की भाजपा सरकार संचालित है। संघ की यह सरकार आदिवासी वनांचलों में शासकीय मशीनरी व साधु-बाबा, पंडे-पुजारियों, कथावाचकों के द्वारा स्थानीय आदिवासियों को भगवा धर्मध्वजा का पाठ पढ़ा रही है। इसी के साथ-साथ शासन-प्रशासन के विरुद्ध होने वाले सामाजिक न्याय के आंदोलन पर पहले समझाइश, फिर धमकी जैसे कार्यों को भी अंजाम दे रही है। एकमुश्त एक ही विभाग के, एक ही गोंड जाति के शिक्षित और उच्च शिक्षित कर्मचारियों का प्रशासनिक स्थानांतरण जिले से बाहर किए जाने से स्पष्ट हो जाता है कि यह सरकार न सिर्फ आदिवासी विरोधी है, बल्कि दमनकारी भी है।
अविभाजित मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में हमने कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकारें देखी हैं। आदिवासी समाज के सभी सामाजिक संगठनों में 99 प्रतिशत पदाधिकारी व कार्यकर्ता शासकीय सेवक ही होते हैं। इनके द्वारा समय-समय पर समाजहित में आंदोलन, धरना, प्रदर्शन होते रहे हैं और हो रहे हैं। भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के पांच सालों में अनगिनत आंदोलन आदिवासी समाज द्वारा किए गए। अनेक बार प्रदेश स्तरीय चक्काजाम भी हुए। आर्थिक नाकेबंदी भी की गई, लेकिन कांग्रेस सरकार ने बदले की कार्रवाई कर किसी शासकीय आदिवासी अधिकारियों-कर्मचारियों को सताया, डराया, धमकाया या उन्हें जिले से बाहर स्थानांतरित किया, ऐसा कभी सुनने को नहीं मिला। संघ की भाजपा सरकार एक आदिवासी को मुखौटा मुख्यमंत्री बनाकर अब आदिवासियों को प्रताड़ित करने का काम कर रही है, जिसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है।
सत्यमेव जयते।
— के.आर. शाह
संपादक: आदिवासी सत्ता
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