बालको के बाद भिलाई में हुई संजयसिंह के खिलाफ दावेदारी
छत्तीसगढ़ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय महासचिव संजय सिंह की साख लगातार इंटक में कमजोर पड़ती नजर आ रही हैं। कुछ महीने पहले ही बालको के इंटक चुनाव में बालको के ही युवा पंकज सोनी ने संजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़कर विरोध का बिगुल बजा दिया और भिलाई में हुए इंटक के चुनाव में पूर्व में कार्यकारी अध्यक्ष रहे संजय सिंह ने इस बार चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया।
माना जा रहा है कि भिलाई में महासचिव रहे एस के बघेल इस कार्यकाल में कार्यकारी अध्यक्ष का पद जीत गए हैं। सूत्रों के अनुसार संजय सिंह इसीलिये चुनाव में भाग नही लिए क्योंकि वहाँ कार्यकारी अध्यक्ष के लिए 01 से अधिक लोगो ने नामांकन भर दिया जो कि संजय सिंह के हार का कारण बन सकती थी। साथ ही सदस्यों ने हाथ उठा कर चुनाव करने का विरोध किया और अगले दिन गुप्त मतदान किया गया। यह भी एक वजह संजय सिंह के चुनाव में न खड़े होने का कारण बताया जा रहा है।
बहरहाल भिलाई इंटक के अध्यक्ष के पद पर जी संजीवा रेड्डी निर्विरोध काबिज हुए। महासचिव के पद पर वंश बहादुर एवं अन्य पदों पर भी चुनाव पूर्ण की गई जिसमे बताया जा रहा है कि जीतने वालो में एस के बघेल के पेनल के पदाधिकारियों की संख्या अधिक है। वही भिलाई के श्रमिक नेताओं के अनुसार वर्तमान मे Steel Employees Union (INTUC) के ज्यादातर नेता संजीवा रेड्डी के अध्यक्ष बनने पर नाखुश हैं।क्यूंकि उनके कारण नए युवा प्रतिनिधियों एवं मूल छत्तीसगढिया लोगों को उनका अधिकार नहीं मिल रहा है। संजीवा रेड्डी जी Federation में भी राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूनियन में भी अध्यक्ष यह पूर्णतः गलत और अवैधानिक है।
यहां तक कि उन्होंने Steel Employees Union के Founder Member एवं श्रमिक नेता के अपने विरुद्ध दावेदार पाए जाने के कारण यूनियन की पर्ची एवं बुक ना देकर यूनियन से सदस्यता समाप्त करने का प्रयास किया है I आखिर एक राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं के यूनियन में चुनाव हेतु अपने विरुद्ध दावेदारी करने वाले प्रतिनिधि को मौका ना देकर स्वयं के विधान के विपरित कार्य कैसे कर सकता है?
चुनाव अधिकारी की स्पष्ट तौर पर चुनाव प्रक्रिया में धांधली दिखाई देती है क्यूंकि विधानानुसार उन्होंने किसी अन्य व्यक्ति को नामांकन भरने का मौका दिए बिना ध्वनिमत विधि से जी संजीवा रेड्डी को अध्यक्ष घोषित कर दिया। अन्य पदों पर कर्मचारियों के विरोध के बाद भी चुनाव प्रक्रिया को ध्वनिमत विधि से ना करा के मतदान विधि द्वारा करवाई गई। इस प्रक्रिया से साफ-साफ दिखाई देता है कि जी संजीवा रेड्डी तथा वंश बहादुर सिंह का निर्वाचन फर्जी तरीके से संपन्न कराई गई है।
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