कोरबा (पब्लिक फोरम)। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कोरबा ने बीमा क्लेम मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पीड़िता को न्याय प्रदान किया। इस मामले में पीड़िता श्रीमती अनिता सिंह की ओर से युवा अधिवक्ता सौरभ अग्रवाल ने प्रभावी पैरवी की।
मामले का विवरण
पीड़िता श्रीमती अनिता सिंह (52 वर्ष) ने अपने दिवंगत पति स्व. अभय राज सिंह की बीमा पॉलिसी के तहत क्लेम किया था। लेकिन एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (बिलासपुर और पुणे कार्यालय) ने यह दावा खारिज करते हुए कहा कि बीमाधारक की मृत्यु पॉलिसी की शर्तों के तहत तय “28 दिन सर्वाइवल पीरियड” के भीतर हो गई थी, जिससे क्लेम अमान्य हो गया।
बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि बीमाधारक की मृत्यु 18 दिसंबर 2022 को हुई, जबकि हृदय रोग की जानकारी 14 दिसंबर को प्राप्त हुई थी। कंपनी ने इसे “सर्वाइवल पीरियड” के उल्लंघन का मामला बताया।
आयोग ने स्पष्ट किया कि बीमा पॉलिसी के नियम दोनों पक्षों पर समान रूप से लागू होते हैं। किसी व्यक्ति की मृत्यु का पूर्वानुमान संभव नहीं है और बीमाधारक के नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों में ऐसी शर्तें अनुचित हैं। आयोग ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियों द्वारा पॉलिसी की सभी शर्तें उपभोक्ताओं को स्पष्ट नहीं की जाती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को क्लेम के समय समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
फैसला और मुआवजा
आयोग ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह पीड़िता को निम्नलिखित भुगतान करे:-
1. बीमा राशि: ₹2,21,000/-
2. मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति: ₹15,000/- संयुक्त रूप से विरोधीपक्षकार क्रमांक 02 और 03 से।
3. अतिरिक्त क्षतिपूर्ति: ₹10,000/- विरोधीपक्षकार क्रमांक 01 से।
सभी भुगतान आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर किए जाने का निर्देश दिया गया।
यह निर्णय उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण में एक बड़ा कदम है। आयोग ने कहा कि बीमा कंपनियां उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी देने में असफल रहती हैं और बाद में शर्तों का उपयोग कर क्लेम को खारिज करती हैं। यह आदेश अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी एक प्रेरणा है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें।
यह फैसला न केवल न्याय का प्रतीक है, बल्कि बीमा कंपनियों को अपनी नीतियों को पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल बनाने का संदेश भी देता है।
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