कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से काम के लिए लाए गए दो दलित युवकों, अभिषेक भांबी और विनोद भांबी, के साथ क्रूर मारपीट और अमानवीय व्यवहार ने सभी को झकझोर कर रख दिया। आरोपियों ने न केवल इन युवकों को बेरहमी से पीटा, बल्कि उनके कपड़े उतारकर उन्हें करंट लगाया और उनकी जान की गुहार को अनसुना कर दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कोरबा पुलिस ने गैर-जमानती धाराओं और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। भीलवाड़ा पुलिस के सहयोग से आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई तेज कर दी गई है।
क्या हुआ कोरबा में?
14 अप्रैल 2024 को कोरबा के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के खपराभट्ठा बुधवारी में स्थित एक आइसक्रीम फैक्ट्री में यह शर्मनाक घटना घटी। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसींद क्षेत्र के कानिया गांव के अभिषेक और विनोद को कुछ लोगों ने आइसक्रीम से संबंधित काम के लिए कोरबा बुलाया था। लेकिन यहाँ चित्तौड़गढ़ के ठेकेदार छोटू गुर्जर और मुकेश शर्मा ने इन युवकों पर चोरी का झूठा आरोप लगाकर बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं।
पीड़ित अभिषेक भांबी ने बताया कि उसने अपनी गाड़ी की किश्त चुकाने के लिए मालिक से 20,000 रुपये एडवांस मांगे थे। जब मालिक ने रुपये देने से इनकार किया, तो अभिषेक ने अपने गांव लौटने की बात कही। यही बात आरोपियों को नागवार गुजरी। उन्होंने चोरी का इल्ज़ाम लगाकर अभिषेक और विनोद के कपड़े उतारे, उन्हें बेरहमी से पीटा और करंट प्रवाहित तारों से छुआया। वायरल वीडियो में युवकों की चीखें और जान की गुहार साफ सुनाई दे रही हैं। अभिषेक बार-बार कहता रहा, “मेरे पिताजी को बुला लो,” लेकिन ठेकेदार का जवाब था, “मर जाएगा तो घर ले जाएंगे।” वीडियो में एक महिला की आवाज भी सुनाई दे रही है, जिसने इस क्रूरता में हिस्सा लिया या उसे देखा।

पीड़ितों की आपबीती: एक दर्दनाक कहानी
अभिषेक और विनोद किसी तरह कोरबा से भागकर अपने गांव गुलाबपुरा पहुंचे। वहां उन्होंने गुलाबपुरा थाने में लिखित शिकायत दर्ज की। उनकी शिकायत के आधार पर कोरबा के सिविल लाइन पुलिस ने मामला दर्ज किया। थाना प्रभारी निरीक्षक प्रमोद डडसेना ने बताया कि एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया है। पीड़ित युवकों का मेडिकल परीक्षण कराया गया, जिसमें उनके शरीर पर चोटों और करेंट के निशानों की पुष्टि हुई है।
अभिषेक ने बताया, “हम सिर्फ मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करना चाहते थे। लेकिन हमें इंसान नहीं, जानवर की तरह ट्रीट किया गया। हमारी जिंदगी तबाह कर दी गई।” विनोद ने कहा, “हमारे साथ ऐसा सलूक हुआ कि अब हम किसी पर भरोसा नहीं कर सकते। हम सिर्फ इंसाफ चाहते हैं।”
पुलिस की कार्रवाई और जांच
कोरबा पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। थाना प्रभारी डडसेना ने बताया कि भीलवाड़ा पुलिस के मेमो के आधार पर सिविल लाइन थाने में मामला दर्ज किया गया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपियों ने सुनियोजित तरीके से इस घटना को अंजाम दिया। भीलवाड़ा पुलिस की एक टीम संभवतः 19 अप्रैल को कोरबा पहुंचेगी, ताकि आरोपियों की गिरफ्तारी की जा सके। पुलिस ने यह भी बताया कि वायरल वीडियो की फोरेंसिक जांच की जा रही है, ताकि सभी दोषियों की पहचान हो सके।
यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक असमानता और शोषण का एक जीता-जागता उदाहरण है। दलित समुदाय के युवकों के साथ इस तरह का व्यवहार समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और मजदूरों के शोषण को उजागर करता है। सामाजिक कार्यकर्ता ललित महिलांगे ने कहा, “यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारा समाज वाकई प्रगति कर रहा है? दलितों और मजदूरों के साथ इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है। दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।”
अब आगे क्या?
इस मामले में पुलिस की जांच जारी है। सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा की है और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की है। कोरबा और भीलवाड़ा पुलिस के बीच समन्वय से यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। साथ ही, इस घटना ने एक बार फिर मजदूरों के अधिकारों और कार्यस्थल पर उनकी सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि समाज में अभी भी बहुत कुछ बदलने की जरूरत है। हर इंसान को सम्मान और सुरक्षा का हक है, चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग या पृष्ठभूमि से हो। अभिषेक और विनोद की कहानी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन लाखों मजदूरों की कहानी है, जो रोज़ी-रोटी के लिए अपने घरों से दूर जाते हैं और शोषण का शिकार बनते हैं। क्या हमारा समाज उनके लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक जगह बना सकता है? यह सवाल हम सबके सामने है।
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