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शुक्रवार, जुलाई 25, 2025
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भारत ने पाकिस्तान की ओर जाने वाली चिनाब नदी का पानी रोका: आतंकवाद के खिलाफ जल नीति में ऐतिहासिक बदलाव

जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले के बाद भारत ने उठाया सख्त कदम, सिंधु जल संधि निलंबित

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। 24 अप्रैल 2025 को भारत ने एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। इस फैसले के तहत, भारत ने चिनाब नदी का पानी पाकिस्तान की ओर जाने से पूरी तरह रोक दिया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “पाकिस्तान को भारत से पानी की एक भी बूंद नहीं मिलेगी।” यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहलाने वाले आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 लोग, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, अपनी जान गंवा बैठे।

आतंकवाद के खिलाफ भारत का कड़ा रुख
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले को पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जोड़ा गया, जिसके बाद भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह कड़ा कदम उठाया। सरकार का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा लगातार आतंकवाद को बढ़ावा देने और सीमा पार से घुसपैठ के कारण सिंधु जल संधि अब भारत के हितों के खिलाफ है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में इस फैसले को अंतिम रूप दिया गया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के तहत भविष्य की रणनीति पर चर्चा हुई। मंत्री पाटिल ने ‘एक्स’ पर लिखा, “मोदी सरकार का यह निर्णय राष्ट्रहित में है। हम सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का एक बूंद पानी भी पाकिस्तान न पहुंचे।”

चिनाब का पानी रोका, पाकिस्तान में असर
चिनाब नदी पर बने बगलिहार जलविद्युत परियोजना के जरिए भारत ने नदी के पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना शुरू कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सियालकोट के मारला हेडवर्क्स में चिनाब नदी का जलस्तर तेजी से गिर गया। चिनाब नदी पाकिस्तान की कृषि और पेयजल आपूर्ति की रीढ़ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पानी की कमी से उनकी रोजी-रोटी और जीवन पर गहरा असर पड़ रहा है।

हालांकि, भारत का कहना है कि यह कदम आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। सरकार ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी है कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सिंधु जल संधि: एक नजर में
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे का एक महत्वपूर्ण समझौता है। इसके तहत:
– पूर्वी नदियाँ (सतलुज, ब्यास, रावी) मुख्य रूप से भारत के उपयोग के लिए हैं।
– पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) मुख्य रूप से पाकिस्तान के लिए हैं, लेकिन भारत को जलविद्युत परियोजनाओं के लिए सीमित अधिकार है।

पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने चिनाब और झेलम नदियों पर कई जलविद्युत परियोजनाएँ शुरू कीं, जिन पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी। भारत ने हमेशा कहा कि ये परियोजनाएँ संधि के नियमों के अनुरूप हैं। लेकिन अब, संधि को निलंबित करने का फैसला भारत की आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है।

भारत की योजना: पानी का उपयोग अपने लोगों के लिए
भारत सरकार ने संकेत दिया है कि चिनाब और अन्य नदियों का पानी अब जम्मू-कश्मीर, पंजाब, और अन्य राज्यों में सिंचाई, बिजली उत्पादन, और पेयजल आपूर्ति के लिए उपयोग किया जाएगा।

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