बेरोजगारी की खाईयां खोदने में लगी मोदी सरकार
कोरबा। कोरबा की सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत ने श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों में किए गए बदलावों और उन्हें चार श्रम संहिताओं में परिवर्तित करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इन नई नीतियों से मजदूरों की समस्याएं बढ़ गई हैं और उद्योगपतियों के हित में लिए गए इन निर्णयों से मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है।
सांसद महंत ने बताया कि मजदूरों ने संघर्ष कर आठ घंटे की कार्य अवधि प्राप्त की थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार इसे फिर से 12 घंटे कर रही है। साथ ही, अनिश्चितकालीन रोजगार (फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट) की व्यवस्था से मजदूरों का शोषण बढ़ेगा। उन्होंने आगे बताया कि नई श्रम संहिताओं में मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान नहीं किया गया है, और जायज मांगों के लिए आंदोलन करने पर जेल की सजा का प्रावधान है।
सांसद ने कहा कि सरकारी उपक्रमों को निजीकरण किया जा रहा है और नियमित मजदूरों के स्थान पर ठेका मजदूरों को लगाया जा रहा है, जिससे उनकी जान खतरे में पड़ रही है। पहले अप्रेंटिस को नियमित किया जाता था, लेकिन अब उनके साथ छल किया जा रहा है और उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। स्थानीय लोगों को भी रोजगार नहीं दिया जा रहा है।
आगे उन्होंने बताया कि सभी श्रमिक संगठन केंद्र की नई पेंशन नीति का विरोध कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार उसे लागू कर रही है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू की थी, लेकिन भाजपा की सरकार आने पर इसे रोक दिया गया।
अंत में, सांसद महंत ने श्रमिक प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे कोरबा-कोरिया जिले में मजदूरों के हितों के लिए कार्य करती रहेंगी और चुनाव में उनका समर्थन चाहती हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनने पर मजदूरों को मजबूत बनाने के लिए कार्य किया जाएगा।
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