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शुक्रवार, मार्च 14, 2025
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कोरबा में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा: हरे-भरे जंगल की कटाई कर जमीन पर कब्जे का आरोप

कोरबा (पब्लिक फोरम)। जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार पेड़ लगाने के प्रयासों में लगी हुई है, वहीं दूसरी ओर भू-माफिया खुलेआम जंगलों की कटाई कर सरकारी जमीन पर कब्जा करने में जुटे हैं। कोरबा तहसील के ग्राम पंचायत चुईया गांव मोहनपुर में सतरेंगा मार्ग पर सैकड़ों हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर जमीन को समतल कर प्लॉटिंग की जा रही है। इस मामले में स्थानीय लोगों ने बालको ठेकेदार राजू खान पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पहले खेतों के मेड़ों को समतल किया गया, फिर पोकलेन मशीन की मदद से सैकड़ों पेड़ों को जड़ से उखाड़ा गया। कटे हुए बेशकीमती पेड़ों को प्लॉटिंग के नीचे दबा दिया गया है ताकि इस अवैध कार्य का कोई सबूत न बचे। यह पूरी घटना बालको वन परिक्षेत्र की है, जो हरे-भरे जंगलों के लिए जाना जाता था।

ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारी जमीन पर कब्जे के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए हैं। इन दस्तावेजों के आधार पर सरकारी जमीन को निजी प्लॉट में बदलने का खेल किया जा रहा है। गांव वालों ने इस मामले में प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

कोरबा एसडीएम सरोज महिलांगे ने बताया, “हमें इस अवैध कब्जे और प्लॉटिंग की जानकारी मिली है। हमने दस्तावेजों की जांच के लिए एक टीम गठित कर दी है। यदि आरोप सही पाए गए तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
यह घटना न केवल सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग का मामला है, बल्कि पर्यावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। जहां एक तरफ सरकार ‘हरित क्रांति’ के तहत पेड़ लगाने के अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ हरे-भरे जंगलों की कटाई ने पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ग्रामीणों ने प्रशासन से अवैध कब्जा हटाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने जंगलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
सरकारी जमीन और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इस तरह की घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती देती हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन को भी गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं।

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