गुरूवार, जुलाई 3, 2025
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बालकोनगर में अवैध निर्माण से जल-जमाव और प्रदूषण की दोहरी मार

शांतिनगर निवासियों ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की

बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। शांति नगर के निवासी इन दिनों अवैध निर्माण और बढ़ते प्रदूषण की दोहरी समस्या से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अवैध निर्माण के कारण क्षेत्र की प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली बाधित हो गई है, जिससे आने वाले मानसून में भारी जलभराव की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा, BALCO के कूलिंग टावर से निकलने वाला वायु और ध्वनि प्रदूषण भी लोगों के स्वास्थ्य और दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है। 

अवैध निर्माण से जल निकासी में अवरोध
शांति नगर के निवासियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से अवैध निर्माण गतिविधियों में तेजी आई है। इन निर्माण कार्यों के चलते नालियों और जल निकासी के प्राकृतिक रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं। 

“पहले भी बारिश के दिनों में पानी भर जाता था, लेकिन अब हालात और खराब हो गए हैं। अगर यही हाल रहा, तो इस बार पूरा इलाका जलमग्न हो सकता है,” शांतिनगर निवासी सौरभ अग्रवाल ने बताया। 

प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं निवासी 
इसके अलावा, BALCO के कूलिंग टावर से निकलने वाला धुंआ और लगातार चलने वाला शोर स्थानीय लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। कई लोगों ने शिकायत की है कि इससे सांस संबंधी बीमारियां और अनिद्रा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। 

“रात को इतना शोर होता है कि बच्चे ठीक से सो नहीं पाते। सुबह उठते ही गले में जलन और खांसी की शिकायत होती है,” गृहिणी सरोज पांडेय ने बताया। 

“साल भर पहले भी समस्या की कोई सुनवाई नहीं हुई थी

प्रशासन से मांग – तुरंत कार्रवाई करें 
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि अवैध निर्माण पर तुरंत रोक लगाई जाए और जल निकासी व्यवस्था को सुचारू बनाया जाए। साथ ही, उन्होंने BALCO प्रबंधन से प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है।

“भाजपा के सुशासन तिहार के बाद भी हालत में कोई सुधार नहीं”

जिला प्रशासन ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि शिकायतों की जांच की जा रही है और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। 

बालकोनगर के निवासियों के लिए यह समस्या सिर्फ सुविधाओं की कमी नहीं, बल्कि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा बन गई है। अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में हालात और गंभीर हो सकते हैं। प्रशासन और बालको प्रबंधन दोनों की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर नागरिकों की पीड़ा को कम करें। 

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