back to top
रविवार, सितम्बर 28, 2025
होमआसपास-प्रदेशधर्मांतरण से आदिवासी पहचान बदली, तो नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ: पूर्व...

धर्मांतरण से आदिवासी पहचान बदली, तो नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ: पूर्व न्यायाधीश प्रकाश उइके

रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी में धर्मांतरण और आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर एक बड़ी बहस को जन्म दे दिया है। जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली के पूर्व न्यायाधीश एवं विशेष सलाहकार प्रकाश उइके ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो जनजातीय व्यक्ति अपनी परंपरा और पहचान छोड़कर चर्च में विवाह करते हैं, वे आरक्षण के लाभ से वंचित हो सकते हैं।

🔸बड़ा बयान: चर्च में शादी करने या अपनी मूल पहचान बदलने वाले जनजातीय व्यक्तियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

🔸कानूनी आधार: सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि आरक्षण के लिए जनजातीय पहचान और सामाजिक स्वीकृति आवश्यक है।

🔸आयोजन: यह संगोष्ठी “जनजाति समस्या, चुनौती और समाधान” विषय पर जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा वनवासी विकास समिति कल्याण आश्रम में आयोजित की गई थी।

🔸चिंता: धर्मांतरण के कारण आदिवासी समाज अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित हो रहा है, जिससे उनकी मूल संस्कृति और परंपराओं पर संकट गहरा रहा है।

धर्मांतरण और आरक्षण: एक संवेदनशील विश्लेषण

रायपुर के वनवासी विकास समिति कल्याण आश्रम में रविवार को आयोजित “जनजाति समस्या, चुनौती और समाधान” विषय पर संगोष्ठी में बोलते हुए मुख्य वक्ता, पूर्व न्यायाधीश प्रकाश उइके ने आदिवासी समाज के सामने खड़ी चुनौतियों पर गहरा प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और विशेषकर महिलाओं से जुड़े मुद्दों को उठाते हुए कहा कि धर्मांतरण एक ऐसी बड़ी समस्या बन गया है, जिसके कारण आदिवासी समाज अपने हकों से दूर हो रहा है।

उन्होंने कानून का हवाला देते हुए कहा, “यदि कोई व्यक्ति अपना नाम, अपनी परंपराएं या पहचान बदल लेता है और उसे उस जनजाति के सदस्य के रूप में मान्यता नहीं दी जाती, तो वह आरक्षण का फायदा लेने के लिए अमान्य हो सकता है।” श्री उइके ने आगे जोर देकर कहा कि भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी इस बात को महत्वपूर्ण माना है कि धर्मांतरण के बाद आरक्षण का लाभ लेने के लिए जनजातीय पहचान और सामाजिक स्वीकृति बनी रहनी चाहिए। यदि धर्मांतरण के कारण व्यक्ति की मूल जनजातीय पहचान समाप्त हो जाती है, तो उसे आरक्षण से वंचित किया जा सकता है।

यह बयान उन हजारों आदिवासी परिवारों के दिलों को छूता है जो अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह सिर्फ एक कानूनी बयान नहीं, बल्कि उस पीड़ा को उजागर करता है जो एक समाज अपनी जड़ों से कटने पर महसूस करता है।

कल्याण आश्रम के प्रयासों की हुई सराहना

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित, छत्तीसगढ़ शासन के सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव के. सी. पैकरा ने इस महत्वपूर्ण विषय पर संगोष्ठी आयोजित करने के लिए जनजाति सुरक्षा मंच की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम आदिवासी समाज के हित में अभूतपूर्व कार्य कर रहा है। श्री पैकरा ने आगे कहा, “वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा जनजातीय समुदाय के लिए चलाए जा रहे शिक्षा, रोजगार, कौशल विकास और स्वास्थ्य के कार्यक्रम न केवल आदिवासियों के लिए, बल्कि अन्य समुदायों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत हैं।”

संगोष्ठी की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व शासकीय अधिवक्ता श्री रवि भगत ने की। इस कार्यक्रम में केवल वक्ता ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में जनजाति समाज के प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी और गणमान्य नागरिक भी शामिल हुए। उन्होंने अपनी समस्याओं और उनके समाधानों पर खुलकर विचार साझा किए, जो यह दर्शाता है कि जनजाति समाज अपने भविष्य को लेकर कितना चिंतित और जागरूक है। यह आयोजन इस बात का प्रमाण था कि जब एक समुदाय अपनी पहचान और अधिकारों के लिए खड़ा होता है, तो उसकी आवाज़ दूर तक जाती है। यह संगोष्ठी सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनजाति  समाज के आत्म-मंथन और भविष्य की दिशा तय करने का एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई।

इस पूरे कार्यक्रम में एक बात विशेष रूप से देखने में आई कि “वनवासी कल्याण समिति और उससे जुड़े संगठन प्रायः आदिवासी समाज को ‘जनजाति’ या ‘वनवासी’ कहकर ही संबोधित करते हैं तथा ‘आदिवासी’ शब्द से परहेज़ करते हैं। जबकि भारतीय संविधान में इन्हें ‘अनुसूचित जनजाति’ के रूप में मान्यता मिली है और स्वयं समाज का व्यापक आत्मबोध ‘आदिवासी’ शब्द से जुड़ा हुआ है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यह शब्दावली परिवर्तन वास्तव में सेवा-भावना से प्रेरित है या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य निहित है? अब इसका अंतिम निर्णय तो स्वयं आदिवासी समाज ही करेगा, क्योंकि अपनी पहचान और अस्तित्व की परिभाषा वही सबसे बेहतर ढंग से तय कर सकता है।”

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments