कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक ऐसी घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया, जिसने इंसानी रिश्तों की नाजुक डोर को शक और गुस्से की भेंट चढ़ते देखा। कटघोरा थाना क्षेत्र के दुर्गा मंदिर के पास 24 मार्च की सुबह एक महिला का शव संदिग्ध हालत में मिला। यह खबर जंगल में आग की तरह फैली और कुछ ही घंटों में पुलिस ने इस हत्या के रहस्य से पर्दा उठा दिया। हैरानी की बात यह है कि हत्यारा कोई और नहीं, बल्कि मृतका का अपना पति निकला।
सुबह की दर्दनाक खोज
सुबह-सुबह जब लोग अपने दिन की शुरुआत कर रहे थे, तभी कटघोरा के दुर्गा मंदिर इलाके में हड़कंप मच गया। एक किराए के मकान में अकेले रहने वाली लता नेताम का शव उसके घर के सामने बाड़ी में पड़ा मिला। खून से सनी ईंटें और खुला दरवाजा देखकर हर किसी के मन में सवाल उठा—यह हादसा था या हत्या? कटघोरा पुलिस तुरंत हरकत में आई और जांच शुरू की।
लता नेताम एक मेहनती मजदूर थी, जो अकेले ही अपने जीवन की गाड़ी खींच रही थी। लेकिन उसकी जिंदगी का अंत इतना दर्दनाक होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था।

पुलिस की तेजी और सच का खुलासा
जिला पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी के निर्देश पर कटघोरा पुलिस ने फौरन कमर कस ली। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीतीश ठाकुर और एसडीओपी श्री मिंज के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी धर्मनारायण तिवारी ने अपनी टीम के साथ मिलकर जांच को अंजाम दिया। डॉग स्क्वायड, फोरेंसिक टीम और साइबर सेल की मदद से हर छोटे-बड़े सुराग को खंगाला गया।
जांच में जो सच सामने आया, वह रोंगटे खड़े करने वाला था। लता की हत्या किसी बाहरी शख्स ने नहीं, बल्कि उसके पति अमोल सिंह नेताम ने की थी। आरोपी की उम्र 34 साल है और वह मूल रूप से दमऊकुंडा का रहने वाला है, जो हाल में डूमरमुड़ा में रह रहा था।
आठ महीने का गुस्सा और हत्या की रात
पुलिस पूछताछ में अमोल ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसने बताया कि आठ महीने पहले लता ने उसे और उनके तीन बच्चों को छोड़ दिया था। इसके बाद वह अकेले रहने लगी थी। इस बात से अमोल के दिल में गुस्सा पनप रहा था। ऊपर से लता ने हटकी बैंक से लोन लिया था, जिसकी वसूली के लिए बैंक कर्मचारी बार-बार उसके गांव आते थे। इससे अमोल मानसिक रूप से परेशान था और उसे लगता था कि उसकी इज्जत पर ठेस पहुंच रही है।
23 मार्च की रात अमोल लता के घर पहुंचा। उसने दरवाजा खटखटाया और जैसे ही लता ने दरवाजा खोला, दोनों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। गुस्से में आगबबूला हुए अमोल ने पास पड़ी ईंट उठाई और लता पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। लता की चीखें हवा में गूंजीं, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी। हत्या के बाद अमोल मौके से फरार हो गया।
पुलिस की मुस्तैदी और इंसाफ की राह
कटघोरा पुलिस ने देर नहीं की। कुछ ही घंटों में सुरागों के आधार पर अमोल को धर दबोचा। उससे पूछताछ के बाद उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। इस तेज कार्रवाई ने इलाके में पुलिस की साख को और मजबूत किया।
एक परिवार का टूटना और सवाल
यह घटना सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि टूटते रिश्तों और गुस्से की पराकाष्ठा की त्रासदी है। लता और अमोल के तीन बच्चे अब अनाथ हो गए। एक मां अपनी जिंदगी की जंग हार गई, तो एक पिता सलाखों के पीछे पहुंच गया। यह कहानी हर उस इंसान के लिए सबक है, जो गुस्से में अपने रिश्तों को भूल जाता है।
कोरबा की यह घटना न सिर्फ एक अपराध की दास्तान है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक दबावों का आईना भी है। पुलिस ने अपना काम बखूबी किया, लेकिन जो खो गया, उसे वापस नहीं लाया जा सकता। अब सवाल यह है कि क्या समाज इस प्रकार के टूटते रिश्तों को बचाने के लिए कुछ करेगा, या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
यह घटना घरेलू हिंसा और पारिवारिक तनाव की भी एक दर्दनाक कहानी है, जो समाज में मौजूद गहरी समस्याओं को उजागर करती है। महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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