नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट में भारत की लगातार नीचे गिरती स्थिति पर अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने चिंता जताई है और इसके लिए मोदी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
ऐपवा ने कहा है कि 125 देशों की सूची में भारत 111वें नंबर पर है। यह बहुत ही क्षोभजनक है। अपने पड़ोसी देशों में मात्र अफगानिस्तान से हम ऊपर हैं।
2015 के बाद अन्य देशों ने जहां अपनी स्थितियां सुधारी हैं वहीं भारत लगातार नीचे गिरते जा रहा है। पिछले वर्ष 107 पर था, इस बार 111 पर है। महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य इस सूचकांक का महत्वपूर्ण पैमाना है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 58.1% युवा महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में उम्र के मुताबिक वजन और विकास में कमी (नाटापन) है।
ऐपवा महासचिव मीना तिवारी और अध्यक्ष ई रति राव ने कहा है कि मोदी सरकार अपने शुरुआती दौर से ही गरीबों, महिलाओं और बच्चों की उपेक्षा करती रही है। इसी का नतीजा है कि आज भारत इस शर्मनाक स्थिति में है।
विश्वस्तरीय रिपोर्ट्स में अगर कुछ सकारात्मक बातें आ जाए तो उसे मोदी सरकार द्वारा अपनी उपलब्धि और विश्व गुरु बनने की तरफ आगे बढ़ने के रूप में दिखाया जाता है लेकिन भुखमरी और कुपोषण के आंकड़ों पर इसे भारत को बदनाम करने की साजिश करार दिया जा रहा है। सरकार के इस रवैए की हम घोर निन्दा करते हैं। सभी देशों के लिए एक ही पैमाना है इसलिए रिपोर्ट को भारत के खिलाफ साजिश बताने के बदले सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव लाना चाहिए। यह सरकार गरीबों, औरतों और बच्चों का भोजन छीनकर पूंजीपतियों की थाली सजाने में लगी हुई है।
ऐपवा ने लगातार मांग की है कि राशन व्यवस्था को ठीक किया जाए। सरकारी राशन दुकानों की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए। इन दुकानों से हर परिवार की जरूरत के अनुसार अनाज के साथ दाल, दूध, खाद्य तेल जैसी चीजें भी सस्ती दरों पर मिले। आंगनबाड़ी योजना का बजट बढ़ाया जाए। पांच साल से कम उम्र के हर बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधा मिले और उसे पोषणयुक्त भोजन मिले।
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