रायगढ़ा/ओडिशा (पब्लिक फोरम)। ओडिशा के रायगढ़ा जिले के कल्याणसिंहपुर प्रखंड की सिकरपई पंचायत में एक दिल दहला देने वाली घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। कंगारामजोड़ी गाँव में एक युवा जोड़े को कथित तौर पर एक ही गोत्र में होने के कारण क्रूर दंड दिया गया। जोड़े को बैलों की तरह खेत जोतने के लिए मजबूर किया गया और कोड़ों से पीटने के बाद गाँव से निकाल दिया गया। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया है।
राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा (आरसीएम) ने इस अमानवीय कृत्य की कड़ी निंदा की है और इसे मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताया है। आरसीएम के अध्यक्ष अरविंद कच्छप ने बयान जारी कर कहा, “यह घटना न केवल नैतिक रूप से निंदनीय है, बल्कि भारतीय संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों का भी अपमान है। हम पीड़ितों के साथ एकजुटता में खड़े हैं और इस जघन्य अपराध के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं।”
आरसीएम की मांगें
राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा ने ओडिशा सरकार और कानून प्रवर्तन अधिकारियों से निम्नलिखित मांगें की हैं:
1. इस घटना की गहन और निष्पक्ष जाँच की जाए।
2. दोषियों को कठोर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़े।
3. पीड़ितों को तत्काल सुरक्षा, सहायता और पुनर्वास प्रदान किया जाए।
4. ऐसी हिंसक और अमानवीय प्रथाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ।
सामाजिक सद्भाव की अपील
आरसीएम ने सभी समुदायों से पुरातन और अमानवीय प्रथाओं को नकारने और सामाजिक सद्भाव, सम्मान और समानता को बढ़ावा देने की अपील की है। संगठन ने जोर देकर कहा कि वह जाति, पंथ या समुदाय से परे प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
यह घटना भारतीय समाज में गहरे बैठे रूढ़िगत और हिंसक रिवाजों को उजागर करती है, जो आधुनिक भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है। समाज के सभी वर्गों को इस तरह की घटनाओं के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाने और मानवाधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है।
इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि पूरे देश के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हम वास्तव में एक समान और न्यायपूर्ण समाज की ओर बढ़ रहे हैं? ओडिशा सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह इस मामले में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई करे, ताकि पीड़ितों को न्याय मिले और ऐसी घटनाएँ भविष्य में न दोहराई जाएँ।
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