कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा के उरगा थाना क्षेत्र स्थित पताढ़ी गांव में अडानी पॉवर प्लांट में शनिवार को हुई एक मज़दूर की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मज़दूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 30 वर्षीय सतीश शांडिल्य, जो कापन के निवासी थे, मिट्टी धंसने की घटना में अपनी जान गंवा बैठे। वे एक ठेका कंपनी के माध्यम से वेल्डिंग हेल्पर के रूप में प्लांट में कार्यरत थे। इस घटना ने साफ कर दिया है कि मुनाफे की अंधी दौड़ में मज़दूरों का जीवन कितना सस्ता हो गया है।
सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी का आरोप
सहकर्मी मज़दूरों का आरोप है कि प्लांट में सुरक्षा के नाम पर कोई इंतज़ाम नहीं है। उन्हें बिना किसी सुरक्षा उपकरण, बिना उचित प्रशिक्षण और बिना किसी पर्यवेक्षण के खतरनाक निर्माण स्थलों पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। मज़दूरों का कहना है कि सतीश की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सीधे तौर पर मुनाफे की हवस में की गई हत्या है।
मुनाफे की होड़ में कुचले जा रहे मज़दूरों के जीवन
आठ महीने पहले ही अडानी समूह ने 4200 करोड़ रुपये में लैंको अमरकंटक पॉवर प्लांट का अधिग्रहण किया था। तब से ही यहां निर्माण कार्य अंधाधुंध गति से चल रहा है। लेकिन इस तेज़ रफ्तार के पीछे मज़दूरों की सुरक्षा और उनके जीवन को खुलेआम कुचला जा रहा है।
प्रबंधन की बेशर्मी और लीपापोती के आरोप
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हादसे के बाद भी प्लांट प्रबंधन की संवेदनहीनता जारी रही। आरोप है कि खबर को फैलने से रोकने के लिए अस्पताल प्रबंधन पर रात में ही शव का पोस्टमार्टम कराने का दबाव डाला गया।
चेतावनी के बावजूद अनसुनी, आधे घंटे तक मिट्टी में दबे रहे सतीश
मृतक के साथी मज़दूरों ने बताया कि जिस जगह सतीश काम कर रहा था, वहां पहले से मिट्टी धंसने की आशंका थी। उन्होंने कई बार प्रबंधन को इस बारे में चेताया भी था, लेकिन इन चेतावनियों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया। हादसे के बाद, सतीश को मिट्टी में दबने के करीब आधे घंटे बाद बाहर निकाला जा सका, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
इंसाफ की गुहार: क्या प्रशासन झुकेगा अडानी के प्रभाव के आगे?
पुलिस ने मृतक के परिजनों और साथी मज़दूरों के बयान दर्ज कर लिए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या अडानी समूह के भारी प्रभाव के आगे प्रशासन भी घुटने टेक देगा? क्या इस “मौत के मॉल” में काम करने वाले मज़दूरों को कभी इंसाफ मिल पाएगा?
मज़दूरों की चेतावनी: उग्र आंदोलन की धमकी
इस घटना से आक्रोशित मज़दूरों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर आपराधिक मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई और मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा तथा प्लांट में स्थायी नौकरी नहीं दी गई, तो वे उग्र आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रासदी है जो हमें कंपनियों की नैतिक ज़िम्मेदारियों और मज़दूरों के जीवन के मूल्य पर गंभीरता से विचार करने पर मजबूर करती है।
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