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गुरूवार, फ़रवरी 6, 2025
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BALCO में किसी भी यूनियन की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी: सीईओ साहब ने कहा

बैठक में मौजूद यूनियन प्रतिनिधियों ने गांधीजी के अहिंसा पाठ का रिफरेंस देते हुए सीईओ साहब के उक्त विवादित बयान का संयुक्त रूप से किया समर्थन: जन-समान्य में व्यापक प्रतिक्रिया

कोरबा (पब्लिक फोरम)। भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड कोरबा, बालको में कार्यरत यूनियन प्रतिनिधियों की मानें तो गत 21 सितंबर का दिन बालको के श्रमिकों के लिए बहुत ही यादगार एवं ऐतिहासिक रहा है। ऐसा क्यों? बताया गया कि उस दिन बालको में उड़ीसा वाले सीईओ साहब ने संयुक्त यूनियनों के साथ इस तरह की दूसरी बार गरिमामय संयुक्त मीटिंग ली है। जिसका हम यूनियन वालों को लंबे समय से इंतजार था। (हालांकि कुछ यूनियनों ने बताया कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है और न ही प्रबंधन ने उन्हें मीटिंग में बुलाया था।)

बैठक में बालको प्रमुख ने बहुत ही क्लोजली, फ्रेंडली एवं अपनेपन के साथ बेबाक बातें की है और पहली बार भावविभोर होकर कहा है कि “अब तुम्हारे हवाले संयंत्र साथियों…”, और हम तो उनके इन कर्तव्यनिष्ठ, जिम्मेदार भावनाओं के बड़े कायल हैं। लेकिन, उन्होंने यह बात विशेष रूप से कही कि “बालको में किसी भी श्रमिक संगठन की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और इसके लिए आप यूनियन नेताओं का सहयोग चाहिए।” आखिरकार सीईओ साहब ने यह विवादित बात क्यों कही? किस संदर्भ में कही? और किस यूनियन के लिए कही? क्या आपके यूनियन ने सीईओ साहब से पूछा? इस बात पर श्रमिक नेता ने चुप्पी साध ली और वहां से खिसक लेना ही मुनासिब समझा।

लेकिन, इस बात को लेकर बालको के श्रमिक परिवार में काफी रोष व्याप्त है। लोगों ने तरह-तरह की तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त किया है। इस पवित्र औद्योगिक तीर्थ वेदांता-बालको के मंदिर रूपी संयंत्र में कोई भी यूनियन गुंडागर्दी करेगा ही क्यों? फिर कौन है वह श्रमिक संगठन जो बालको में गुंडागर्दी करता है? प्रबंधन को स्पष्ट करना ही चाहिए कि कौन गुंडा है?

बालको पर काबिज विश्व स्तरीय वेदांता का अपना एक व्यापक सिस्टम है, भक्ति एवं पूजा पाठ में लीन साधु संतों का कोई निरीह और निहत्था काफिला तो है नहीं। वेदांता के पास स्वयं का एक सक्षम सिक्योरिटी सिस्टम होने के साथ ही शासन प्रशासन की सतत निगरानी, लॉ एंड आर्डर और पॉलिटिकल कंट्रोल सिस्टम भी तो उनके पास है।

अब सवाल यह है कि संयंत्र और श्रम-शक्ति के अंतरसंबंधों को और अधिक प्रगाढ़ एवं मजबूत बनाने के बजाय बालको के श्रमिक संगठनों में फूट डालकर अंग्रेजों की पुरानी नीतियों की पुनरावृत्ति करके अपनी औद्योगिक कूटनीति (इंडस्ट्रियल- नेतागिरी) करने की वेदांता को जरूरत क्यों पड़ रही है? और उसे आखिरकार क्यों करनी चाहिए? यह बात लोगों की समझ से परे है।

खैर, यह सब बातें तो बाद में देखने वाली होगी लेकिन बालको परिवार के हितों के लिए जिम्मेदार श्रमिक संगठनों को बिना किसी डर के, बिना किसी लाग-लपेट के इस विवादित बयान के विरोध में मुखरता के साथ बालको के संरक्षक सीईओ साहब के समक्ष अपनी बात रखने में आनाकानी या ढुलमुल रवैया क्यों अपनाया जा रहा है? बालको के श्रमिक संगठनों पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया जा रहा है और बालको के श्रमिक संगठने चुप हैं। बात कुछ हजम नहीं हो रही है। पहले भी बालको के एक सीईओ ने एक श्रमिक संगठन पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया था और उसके एक पदाधिकारी को बर्बाद करने में करोड़ों रुपए फूंक डाला था। और उस समय भी कुछ श्रमिक संगठनों ने सीईओ साहब का साथ दिया था।

लोगों का तो यहां तक कहना है कि क्या सीईओ साहब की प्रशासनिक क्षमता समाप्त हो चली है? या वे स्वयं इस शांति प्रिय छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की औद्योगिक शांति, सादगी, सौहार्द्रता एवं समन्वय की मौलिक संस्कृति परंपरा को डैमेज करके सिर्फ कंपनी की मुनाफा के लिए जिले के स्थानीय विकास, रोजगार, दलित, पिछड़े एवं आदिवासियों के हितों का अनदेखा करके और बालको के श्रमिक संगठनों की छवि को धूमिल करके, उन्हें बदनाम करके, देश के विकास में सहयोग व स्थानीय रोजगार, आदि फंडामेंटल एवं ज्वलंत मुद्दों से शासन-प्रशासन व प्रदेशवासियों का ध्यान हटाकर बालको के सीईओ छत्तीसगढ़ वासियों को क्या संदेश देना चाहते हैं?

बालको वेदांता प्रमुख के सवाल से यह भी एक सवाल बनता है कि स्थानीय लोगों के द्वारा रोजगार और अधिकार मांगना क्या गुंडा गर्दी है? तो फिर वेदांता प्रबंधन के द्वारा एक लंबे समय से किए जा रहे भयंकर श्रमिक प्रताड़ना किस श्रेणी में आता है?

बालको के श्रमिक संगठनों को उद्योग-विकास व व्यापार में सहयोग के साथ ही स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी प्रमुखता के साथ ध्यान केंद्रित करते हुए अपने श्रमिक एकता और संघर्षों के इतिहास को याद रखनी चाहिए और ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयानों पर समवेत स्वर में तत्काल आपत्ति दर्ज करानी चाहिए। बालको-वेदांता प्रमुख को भी ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान पर खेद प्रकट करनी चाहिए। ऐसा करने से उनके सम्मान में और ज्यादा इजाफा ही होगा। कम तो बिल्कुल नहीं होगी।

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