मंगलवार, दिसम्बर 3, 2024
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केरल त्रासदी: भूस्खलन चेतावनी विवाद में घिरे गृह मंत्री, कांग्रेस ने ठोंका विशेषाधिकार हनन का नोटिस!

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। केरल के वायनाड में हुई भीषण भूस्खलन त्रासदी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने शुक्रवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया है। यह कार्रवाई शाह द्वारा राज्यसभा में दिए गए उस बयान के विरोध में की गई है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि केरल सरकार को भूस्खलन से पहले ही चेतावनी दी गई थी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने इस नोटिस को पेश किया। उन्होंने आरोप लगाया कि गृह मंत्री ने सदन को गुमराह किया है, जो कि एक गंभीर मामला है। रमेश ने कहा, “गृह मंत्री के बयान ने न केवल सदन को भ्रमित किया, बल्कि इतनी बड़ी त्रासदी के संदर्भ में सटीक जानकारी के महत्व को भी कम आंका है।”
विवाद की जड़ में गृह मंत्री का वह बयान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र ने 23 जुलाई को ही केरल सरकार को भूस्खलन की चेतावनी दे दी थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि 24, 25 और 26 जुलाई को भी चेतावनियां दी गईं, लेकिन राज्य सरकार ने इन पर ध्यान नहीं दिया।

इस बयान के बाद से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। कांग्रेस का आरोप है कि गृह मंत्री ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। वहीं, भाजपा का कहना है कि उन्होंने समय पर सभी चेतावनियां दी थीं और राज्य सरकार की लापरवाही के कारण यह त्रासदी हुई।
इस भयावह घटना में 300 से अधिक लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। बचाव कार्य अभी भी जारी है, जिसमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं।
यह विवाद एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सरकारों की तैयारी और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। क्या वाकई में समय पर चेतावनी दी गई थी? अगर हां, तो क्या उचित कदम उठाए गए? इन सवालों के जवाब अभी भी तलाशे जा रहे हैं।

विशेषाधिकार हनन नोटिस एक गंभीर संसदीय प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य संसद और उसके सदस्यों की गरिमा की रक्षा करना है। अब देखना यह है कि इस नोटिस पर क्या कार्रवाई होती है और इसका क्या परिणाम निकलता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर से राजनीति और प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के बीच के नाजुक संबंध को उजागर किया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी गरमाने की संभावना है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने-अपने दावों पर अड़े हुए हैं।

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