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जेएनयू में वामपंथी गठबंधन की ऐतिहासिक विजय: “यह हम सभी को सशक्त करने वाली जीत है” – दीपंकर भट्टाचार्य

पटना में आयोजित नागरिक सम्मान समारोह में जेएनयूएसयू पदाधिकारियों का हुआ विशेष सम्मान

पटना (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय जन मंच (एआईपीएफ) द्वारा पटना में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के यूनाइटेड लेफ्ट गठबंधन से निर्वाचित पदाधिकारियों का भव्य नागरिक अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर “शिक्षा एवं लोकतंत्र पर बढ़ते हमलों के समय में जेएनयूएसयू चुनाव परिणामों के सार्थक निहितार्थ” विषय पर एक गहन विचार-विमर्श भी संपन्न हुआ।

सम्मान समारोह के उपरांत आयोजित परिचर्चा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में कहा, “इस बार जेएनयू में यूनाइटेड लेफ्ट की विजय विशिष्ट महत्व रखती है, विशेषकर पहलगाम आतंकवादी हमले के पश्चात के परिदृश्य में। इस चुनौतीपूर्ण समय में जेएनयू के भीतर और बाहर लोकतांत्रिक संघर्ष को कैसे सुदृढ़ किया जाए, यही हमारे विचार-विमर्श का केंद्रीय बिंदु है।” उन्होंने जोर देकर कहा, “जेएनयू की यह विजय हम सभी को सशक्त करने वाली है। यह एक ऐसा अकादमिक संस्थान है जो अध्ययन के साथ-साथ संघर्ष भी करता है।”

भट्टाचार्य ने जेएनयू की ऐतिहासिक भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा, “आपातकाल के कठिन समय में सीताराम येचुरी जैसे प्रखर नेता इसी संस्थान से उभरे, जिन्होंने दशकों तक फासीवादी शक्तियों से अडिग संघर्ष किया। वर्तमान परिस्थितियों में हमारी लड़ाई पहले से भी अधिक दुष्कर है और हमें इसे अविचलित होकर लड़ना होगा।”

उन्होंने देश में व्याप्त युद्धोन्माद के वातावरण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “आज तो भारत के विदेश सचिव तक को निशाना बनाया जा रहा है। यद्यपि युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है, परंतु अधिक उचित होता यदि दोनों देशों की सरकारें अपनी जनता के शांति के आह्वान को सुनतीं और अमेरिकी हस्तक्षेप के लिए कोई अवकाश न छोड़तीं।” साथ ही, उन्होंने भारत और पाकिस्तान के मुख्यधारा मीडिया की आलोचना करते हुए कहा, “भ्रामक समाचारों और युद्ध को मनोरंजन के रूप में प्रस्तुत करने पर उन्हें लज्जित होना चाहिए।”

छात्र नेताओं का दृष्टिकोण

कार्यक्रम में जेएनयूएसयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “जेएनयू में वामपंथी शक्तियों के मध्य पूर्ण एकता स्थापित नहीं हो पाई, किंतु हमारी अभिलाषा है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में समस्त प्रगतिशील शक्तियाँ संगठित होकर फासीवादी भाजपा का प्रतिरोध करें।”

महासचिव मुन्तेहा फातिमा ने उद्गार व्यक्त किए, “दलितों, मुस्लिमों और सामाजिक रूप से वंचित व³ TTर्गों पर निरंतर आक्रमण हो रहे हैं। जेएनयू को इसलिए लक्षित किया जाता है क्योंकि यहाँ इन समुदायों से आने वाले विद्यार्थी सरकार से प्रश्न उठाते हैं।”

उपाध्यक्ष मनीषा ने दृढ़तापूर्वक कहा, “हम शहीद भगत सिंह और डॉ. भीमराव अंबेडकर की विरासत के संरक्षक हैं और फासीवाद के विरुद्ध हमारा संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। जेएनयू को बदनाम करने के विविध प्रयास किए गए, परंतु हमारी आकांक्षा है कि देश के प्रत्येक क्षेत्र में जेएनयू जैसा शैक्षणिक परिसर स्थापित हो।”

पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने जेएनयू की विरासत को गौरवशाली बताते हुए कहा, “यह वही महान संस्थान है जिसने कॉमरेड चंद्रशेखर जैसे दिग्गज नेताओं को जन्म दिया है। भाजपा ऐसे प्रतिष्ठित संस्थानों को विनष्ट करना चाहती है क्योंकि ये सत्ता से प्रश्न करने का साहस रखते हैं।”

निवर्तमान अध्यक्ष कॉमरेड धनंजय ने भी समारोह को संबोधित किया।

विशेषज्ञों का दृष्टिकोण

अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रख्यात इतिहासविद् प्रोफेसर ओ.पी. जायसवाल ने कहा, “यदि भाजपा-आरएसएस की भावी रणनीति को समझना है तो ‘बंच ऑफ थॉट्स’ का अध्ययन आवश्यक है।” उन्होंने आरएसएस को हिटलर के पदचिह्नों पर चलने वाला संगठन बताते हुए चेतावनी दी कि “देश इनके हाथों में सुरक्षित नहीं है।”

कार्यक्रम का कुशल संचालन जेएनयूएसयू के पूर्व महासचिव एवं वर्तमान विधायक कॉमरेड संदीप सौरभ ने किया। उपस्थित अतिथियों का औपचारिक स्वागत एआईपीएफ के संयोजक कमलेश शर्मा द्वारा किया गया।

पदाधिकारियों का विशिष्ट सम्मान

कार्यक्रम में भाकपा (माले) महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने अध्यक्ष नीतीश कुमार को, विधान परिषद सदस्य शशि यादव ने महासचिव मुन्तेहा फातिमा को, शकील अहमद खान ने निवर्तमान अध्यक्ष धनंजय को, प्रीति कुमारी ने उपाध्यक्ष मनीषा को तथा प्रणव चौधरी ने पटना विश्वविद्यालय की काउंसिलर अदिति यादव को सम्मानित किया।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में विद्यार्थी, युवा, शिक्षक तथा पटना के नागरिक समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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