व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा
भाई भक्तों! इतना बेसब्र होना भी ठीक नहीं है। नहीं, नहीं, हम ये नहीं कहते कि तुम्हारी शिकायत गलत है। भगवा पार्टी वाले इस बार भी आखिरी कदम पर हिचक गए और अपने प्रभु को बाकायदा भगवान घोषित करते-करते रुक गए। एक बार फिर…। भक्तों का थोड़ा निराश होना तो बनता है। आखिर, ग्यारहवें अवतार के आगमन का इंतजार और कब तक? पर भक्तगण विलंब से हताश न हों। भरोसा रखें। थोड़ा और धीरज रखें। आपकी भक्ति व्यर्थ नहीं जा सकती। भगवान के आने में देर है, अंधेर नहीं है!
हम यह बात कोई भक्तों को कोरी दिलासा देने के लिए नहीं कह रहे हैं। माना कि भक्तों की भक्ति का मनचाहा फल अभी नहीं मिला है, फिर भी बहुत निराश होने का भी कोई कारण नहीं है। भगवा पार्टी एकदम सही रास्ते पर जो है। भक्त यह नहीं भूलें कि इस बार भगवा पार्टी ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में बाकायदा मोदी जी को सुप्रीम और सबसे लोकप्रिय नेता तो घोषित भी कर दिया है और वह भी सिर्फ भारत का ही नहीं, दुनिया भर का। उनके भारत को सम्पूर्ण विश्व के भविष्य का रक्षक बनाने वाले, विश्वरक्षक रूप का बखान किया गया है, सो अलग।
उनके सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञाता होने का बखान तो खैर है ही। अब और क्या बचता है, बखान करने को? यानी मंजिल अब करीब-करीब आ ही गयी। सफर अब और बचा ही नहीं। बस एक-दो कदम और। फिर तो अवतार मानना ही पड़ेगा। सारे विशेषण खत्म जो हो जाएंगे। आज नहीं तो कल, अवतार की घोषणा की मंजिल तक पहुंच ही जाएंगे। भक्त न भूलें, ऐसे मामलों में जल्दबाजी से फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। बुजुर्ग तो पहले ही कह गए हैं — सहज पके सो मीठा होए।
भक्त हैं, तो अपने भगवान की मजबूरी भी तो समझें। अभी तो 2023 ही है, 2024 तो अभी भी दूर है। अवतार को 2023 के चुनावों में ही खर्च कर दिया, तो 2024 में पब्लिक को क्या दिखाकर बहलाएंगे? सिर्फ अयोध्या वाला मंदिर! और अगर अवतार, 2023 मेंं ही नहीं चला तो, 2024 में नया अवतार कहां से लाएंगे? सो भक्तगण धीरज रखें और अपनी भक्ति बढ़ाते रहें। लगभग भगवान से आगे, उनके प्रभु भगवान बनकर भी आएंगे। भगवान के आने में देर है अंधेर…! (व्यंग्यकार प्रतिष्ठित पत्रकार और ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)
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