कोरबा/गुरसियां (पब्लिक फोरम)। ग्राम पंचायत गुरसियां के बुढ़ादेव स्थल बाजार मैदान, फड़ापेन ठाना क्षेत्र में गुरुवार को एक दिवसीय “नारूंग दाई सेवा गोंगो” एवं “सार्वजनिक नवा खई तिहार” का भव्य आयोजन किया गया। इस सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय महत्व के पर्व में क्षेत्र के विभिन्न समाजों के सैकड़ों लोगों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी की।

पर्यावरण संरक्षण का संदेश
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण “नारूंग दाई सेवा गोंगो” रहा, जिसका अर्थ है नौ प्रकार के पेड़-पौधों की पूजा। पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, इन पौधों की पूजा-अर्चना करके समाज पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता है। यह परंपरा प्रकृति के प्रति आदिवासी समाज की गहरी आस्था और जिम्मेदारी को दर्शाती है।

सामूहिक भागीदारी और सामाजिक एकता
इस अवसर पर समाज की महिलाओं, पुरुषों और युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में “गोंड समाज, कंवर समाज, यादव (राऊत) समाज, बिंझवार समाज, धनवार समाज, गाड़ा समाज, उरांव समाज” सहित अन्य समाजों की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। यह आयोजन सामाजिक सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक बन गया।

नवा खई तिहार: नई फसल का उत्सव
समाज के प्रमुखों ने “नवा खई तिहार” की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह पर्व नई फसल, सामूहिकता और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। ‘नवा खई’ का अर्थ है नया अन्न। परंपरा के अनुसार, जब तक नए अन्न को प्रकृति और देवताओं को समर्पित नहीं किया जाता, तब तक समाज के लोग उसका सेवन नहीं करते।

विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद सभी उपस्थित लोगों ने मिलकर नए अन्न का प्रसाद ग्रहण किया और एक-दूसरे की खुशहाली एवं समृद्धि की कामना की।
परंपरा और प्रकृति से जुड़ाव
यह आयोजन ग्रामवासियों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों, प्रकृति और सामाजिक एकता से जोड़ने का माध्यम बना। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि पारंपरिक मूल्यों और पर्यावरण संरक्षण के बीच गहरा संबंध है, और इन परंपराओं को जीवित रखना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। इस सफल आयोजन की जिम्मेदारी बुढ़ादेव सेवा समिति गुरसियां एवं शहीद वीर नारायण सिंह युवा संगठन ने संभाली। दोनों संगठनों ने मिलकर इस सांस्कृतिक पर्व को भव्य और सुव्यवस्थित तरीके से आयोजित किया।
(रिपोर्ट: मनीष साहू, कोरबा ब्यूरो)
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