कोरबा (पब्लिक फोरम)। दीपका क्षेत्र का गौरव पथ, जो कभी सुरक्षा और विकास का प्रतीक था, अब विवादों का गढ़ बन चुका है। वर्षों से भारी वाहनों के परिचालन से उपजी समस्याओं को लेकर लोगों ने संघर्ष किया, लेकिन आज जब क्षेत्र के विकास के लिए ओवरब्रिज का निर्माण शुरू हुआ है, तो इसका विरोध क्यों हो रहा है? इस सवाल ने स्थानीय जनता और प्रशासन को नई बहस में उलझा दिया है।
गौरव पथ: सुरक्षा से विवाद तक का सफर
गौरव पथ का निर्माण दीपका क्षेत्र और आसपास के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से किया गया था। इसका उद्देश्य था लोगों को कोयला खदानों से भारी वाहनों के खतरे से बचाना। लेकिन निर्माण के कुछ ही महीनों बाद, कोयला खदानों से आने-जाने वाले ट्रक और ट्रेलरों को इस मार्ग पर परिचालन की अनुमति दे दी गई। इसके चलते दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ने लगी और जनता में आक्रोश पनपने लगा।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने लंबे समय तक इस मार्ग से भारी वाहनों के परिचालन को रोकने के लिए आंदोलन किए। गौरव पथ संघर्ष समिति के बैनर तले 2023 में एक बड़ा आंदोलन हुआ, जिसमें लोगों ने इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की मांग की। लेकिन प्रशासनिक व राजनीतिक उपेक्षा के चलते यह आंदोलन भी ठोस परिणाम नहीं दे सका।
ओवरब्रिज निर्माण: राहत या विवाद का नया अध्याय?
अब एसईसीएल द्वारा इस मार्ग पर करोड़ों रुपये की लागत से ओवरब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इससे स्थानीय जनता को राहत मिलेगी। लेकिन इसके विरोध ने नई चर्चा छेड़ दी है। यूनियनों और कुछ संगठनों द्वारा ओवरब्रिज का विरोध किए जाने से सवाल उठ रहा है कि यह विरोध किसके इशारे पर हो रहा है और इसके पीछे का असली मकसद क्या है।
अब एसईसीएल द्वारा इस मार्ग पर करोड़ों रुपये की लागत से ओवरब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इससे स्थानीय जनता को राहत मिलेगी। लेकिन इसके विरोध ने नई चर्चा छेड़ दी है। यूनियनों और कुछ संगठनों द्वारा ओवरब्रिज का विरोध किए जाने से सवाल उठ रहा है कि यह विरोध किसके इशारे पर हो रहा है और इसके पीछे का असली मकसद क्या है।
स्थानीय सूत्रों का मानना है कि विरोध के पीछे निजी स्वार्थ और राजनीतिक दबाव हो सकते हैं। विरोध के बावजूद, जनता के बीच इस मुद्दे पर स्पष्टता का अभाव है। प्रशासन और संबंधित प्रबंधन से अभी तक इस पर कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं आया है।
समस्याओं की जड़: भारी वाहनों का संचालन
गौरव पथ पर भारी वाहनों के संचालन से क्षेत्र में कई दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें निर्दोष लोग हताहत हुए। इन घटनाओं के बावजूद, राजनीतिक दलों और ट्रेड यूनियनों ने समय पर हस्तक्षेप नहीं किया। आज जब समाधान की प्रक्रिया शुरू हुई है, तब विरोध की आवाजें उठना समझ से परे है।
गौरव पथ संघर्ष समिति ने इस मुद्दे पर कई बार प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन को चेताया, लेकिन उनकी मांगें अनसुनी रहीं। स्थानीय नागरिकों का मानना है कि ओवरब्रिज के निर्माण से दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है, लेकिन इसका विरोध उनकी सुरक्षा और विकास में बाधा बन रहा है।
क्या है समाधान?
दीपका क्षेत्र के विकास और जनता की सुरक्षा के लिए प्रशासन को पारदर्शी और न्यायसंगत निर्णय लेने की आवश्यकता है।
1. स्थानीय नागरिकों की भागीदारी: किसी भी निर्माण कार्य या बदलाव से पहले स्थानीय लोगों को विश्वास में लिया जाना चाहिए।
2. पारदर्शिता: प्रशासन और प्रबंधन को यह स्पष्ट करना होगा कि ओवरब्रिज निर्माण का उद्देश्य क्या है और यह किस तरह से लाभकारी होगा।
3. संवाद: यूनियनों और विरोध करने वाले संगठनों से संवाद कर उनकी आपत्तियों का समाधान किया जाना चाहिए।
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