कोरबा (पब्लिक फोरम)। जिले में 135 दिनों से धरना-आंदोलन में बैठे एनटीपीसी कोरबा के भू स्थापित ग्राम चारपारा के परिवारों ने न्याय नहीं मिलने से हताश होकर कलेक्ट्रेट पहुंचकर आत्मदाह करने का प्रयास किया। एनटीपीसी कोरबा की स्थापना में अपने पुरखों की जमीन खो चुके ग्राम चारपारा के करीब 6 से 9 परिवार अपने मुआवजा, क्षतिपूर्ति एवं नौकरी की मांग को लेकर विगत 22 अप्रैल 2023 से अनिश्चितकालीन धरना आंदोलन में बैठे हैं। महीनों की इस लंबी अवधि में एनटीपीसी प्रबंधन, जिला प्रशासन व इस जिले के मंत्री, सांसद, विधायक एवं जनप्रतिनिधियों की तरफ से भूविस्थापितों के समस्याओं की समाधान के लिए कोई भी सकारात्मक पहल या सार्थक प्रयास होता नहीं दिख रहा है।
भूविस्थापितों की अधिकार के लिए ताल ठोंक कर लड़ने वाले कई संगठन, राजनीतिक पार्टियों के लोग समर्थन की घोषणा करने के लिए उनके मंच पर तो आए लेकिन मीडिया के माध्यम से अपनी पब्लिसिटी करवा कर धीरे से किनारा भी कर लिया। अब सभी तरफ से निराश हताश होकर शांतिपूर्ण धरने पर बैठे भूविस्थापित परिवार के लोग अपने ऊपर मिट्टी तेल डालकर आत्महत्या करने की नीयत से प्रशासन के जनदर्शन कार्यक्रम में कलेक्ट्रेट पहुंच गए।
मौके पर तैनात सुरक्षा सिपाहियों ने उनको इस स्थिति में देखते ही तत्काल सतर्कता बरती और इससे पहले की ये भूविस्थापित स्वयं आग लगा पायें, उन्हें तत्काल रोक लिया गया। इस अविश्वसनीय घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस अधीक्षक उदय किरण भी वहां पहुंच गए। पुलिस अमला सिविल लाइन भी मौके पर पहुंच गया तथा उन सभी को हिरासत में ले लिया गया है।
इस खबर को लेकर जिले में जनचर्चा है कि इस घटना से भूविस्थापितों के समस्याओं की निराकरण के लिए प्रशासन की ओर से गंभीरता पूर्वक कार्रवाई की एक नई संभावना दिख रही है। जो कि अच्छी बात है।
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