back to top
शनिवार, दिसम्बर 13, 2025
होमपीपुल्स फोरमहवाई अड्डों पर अराजकता से इंडिगो संकट तक: क्यों मोदी सरकार में...

हवाई अड्डों पर अराजकता से इंडिगो संकट तक: क्यों मोदी सरकार में अव्यवस्था बन गई ‘न्यू नॉर्मल’?

स्वर्ग’ के वादे, ज़मीन पर ‘अफरा-तफरी’: मोदी सरकार का ‘न्यू नॉर्मल’

देश में अव्यवस्था और घबराहट का माहौल अक्सर किसी आपातकाल में बनता है, लेकिन मोदी सरकार में यह ‘न्यू नॉर्मल’ हो चुका है। 2014 में ‘गुजरात मॉडल’ और ‘स्वर्ग’ बनाने के वादों के साथ सत्ता संभालने वाले नरेंद्र मोदी अब भी पत्रकारों के सामने ‘स्वप्नलोक’ की बातें कर रहे हैं, जबकि ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही बयां करती है।

पिछले पांच दिनों से देश भर के हवाई अड्डों पर फैली अराजकता इसका ताज़ा उदाहरण है। प्रधानमंत्री से एक खेद की उम्मीद करना भी बेमानी है, क्योंकि मोदीजी ने अगर अपनी गलती मान ली, तो फिर सूरज पश्चिम से निकलने लगेगा।

पहले कार्यकाल में नोटबंदी (2016) हो, दूसरे में लॉकडाउन (2020), या अब तीसरे कार्यकाल में एसआईआर और फ्लाइट ऑपरेशन की गड़बड़ियां—हर बार जनता ने मनमाने फैसलों से उपजी अव्यवस्था को ही भुगता है।

इंडिगो की हजारों उड़ानों का रद्द होना या देरी से चलना, नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के नए ‘फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन’ नियम को अधूरी तैयारी के साथ लागू करने का नतीजा है। यह नियम पायलटों और क्रू को पर्याप्त आराम देने के लिए था, लेकिन इसे लागू करने से पहले क्यों नहीं सुनिश्चित किया गया कि एयरलाइन तैयार है?

जब पानी सिर के ऊपर से निकला, तब नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने बैठक की और विडंबना देखिए, अव्यवस्था को ठीक करने के लिए इंडिगो को नियमों में ढील दे दी गई। यानी, जिस नियम का मकसद यात्रियों और क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित करना था, उसी को पहले अव्यवस्था फैलाने दी गई और फिर उसी पर रियायत दे दी गई। इसके बाद हवाई टिकटों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी पर भी मंत्रालय तब हरकत में आया जब बहुत देर हो चुकी थी।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का आरोप है कि ‘इंडिगो की विफलता इस सरकार के एकाधिकार मॉडल की कीमत है।’ उन्होंने जिस ‘मैच-फिक्सिंग’की बात की, वह समझना कठिन नहीं है। देश की संपत्ति और संसाधन कुछ दो-तीन लोगों के हाथों में केंद्रित हो रहे हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी चेतावनी दी है कि जब उद्योगपति सरकार से अधिक ताकतवर हो जाते हैं, तो यही स्थिति आती है।

कांग्रेस के सांसद शशिकांत सेंथिल ने गंभीर सवाल उठाए हैं कि DGCA जनवरी 2024 में नियम जारी होने के बावजूद यह सुनिश्चित करने में क्यों विफल रहा कि इंडिगो पालन करे? और क्या इंडिगो की प्रमोटर कंपनी ‘इंटरग्लोब समूह’ द्वारा भाजपा को दिए गए चुनावी बॉन्ड के कारण ही एयरलाइन को असाधारण रियायतें दी गईं?

ये आरोप बेहद गंभीर हैं। इस अव्यवस्था ने अनगिनत लोगों को गंभीर संकट में डाला है। सर्वोच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में इसे संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन बताया गया है, और प्रभावितों को इंसाफ़ मिलना ही चाहिए। “सुशासन का दावा हवाई है, ज़मीनी हक़ीक़त में सिर्फ अव्यवस्था और घबराहट!”
(आलेख: प्रदीप शुक्ल)

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments