कांकेर/पखांजूर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पखांजूर तहसील में वन अधिकार पट्टों के आवेदनों पर महीनों से कोई कार्रवाई न होने से नाराज ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। ‘वनाधिकार संघर्ष मंच’ के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने एकजुट होकर एसडीएम कार्यालय में प्रदर्शन किया और लापरवाह पंचायत सचिवों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।
मंच के संयोजक महेश्वर शर्मा और अध्यक्ष छोटेलाल ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों के सैकड़ों ग्रामीणों ने लगभग आठ महीने पहले वन अधिकार पत्रक (पट्टा) प्राप्त करने के लिए आवेदन जमा किए थे। नियमानुसार, इन आवेदनों को आगे की प्रक्रिया के लिए एसडीएम कार्यालय द्वारा संबंधित ग्राम पंचायतों को भेज दिया गया था

ठंडे बस्ते में डाले गए आवेदन
वन अधिकार कानून में यह स्पष्ट प्रावधान है कि आवेदन जमा होने के 90 दिनों के भीतर ग्राम सभा का आयोजन किया जाना चाहिए और उस पर उचित निर्णय लेना होता है। लेकिन, कई पंचायत सचिवों ने इस महत्वपूर्ण कानून को गंभीरता से नहीं लिया। उनकी उदासीनता और लापरवाही के कारण आठ महीने बीत जाने के बाद भी इन आवेदनों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, जिससे जरूरतमंद ग्रामीण अपने कानूनी हक से वंचित हो रहे हैं।

अड़ियल रवैये से बढ़ी नाराजगी
मंच के नेताओं ने बताया कि इस देरी को देखते हुए उन्होंने हाल ही में संबंधित ग्राम पंचायतों के सरपंच और सचिवों से मिलकर ग्राम सभा बुलाने का आग्रह करते हुए ज्ञापन भी सौंपा था। इस पहल का कुछ पंचायतों पर सकारात्मक असर हुआ, लेकिन कई सचिवों ने अभी भी अपना अड़ियल रवैया नहीं छोड़ा है। उनके इस असहयोगात्मक रुख के कारण ग्रामीणों में भारी रोष है।
जब बार-बार के आग्रह के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई, तो विवश होकर वनाधिकार संघर्ष मंच को यह कठोर कदम उठाना पड़ा। ग्रामीणों ने एसडीएम से मांग की है कि जो सचिव जानबूझकर कानून की अवहेलना कर रहे हैं और गरीबों को उनके हक से वंचित कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
जब ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर एसडीएम कार्यालय पहुँचे, तो वहां एसडीएम मौजूद नहीं थे। उनकी अनुपस्थिति में, ग्रामीणों ने उनके निजी सहायक को अपना ज्ञापन सौंपा।
इस विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन कार्यक्रम में मुख्य रूप से खोमेश शोरी, रामलाल कोयला, अमर सायं लकड़ा, बाबूलाल दूर्वा, लाल सायं गावड़े, जौहर बेसरा, अंकालु ठाकुर, मनेश नरेटी, सुधाकर मंडावी, देवू उसेंडी, संतोष एक्का, सोमजी टेकाम, और मोंटू कौला सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।
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