कोरबा (पब्लिक फोरम)। आत्मनिर्भरता के नाम पर महिलाओं को कर्जदार बनाने और करोड़ों की ठगी करने वाली फ़्लोरा मैक्स कंपनी के डायरेक्टर अखिलेश सिंह को आखिरकार पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। लगातार बढ़ते जनदबाव और महिलाओं के प्रदर्शन के बीच पुलिस ने यह कार्रवाई की है।
क्या है मामला?
फ़्लोरा मैक्स कंपनी ने आत्मनिर्भरता के झांसे में फंसाकर सैकड़ों महिलाओं से करोड़ों रुपये की ठगी की है। कंपनी ने ग्रामीण और मध्यमवर्गीय महिलाओं को चकाचौंध भरे सपने दिखाए और उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया।
पीड़ित महिलाएं कई दिनों से पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रही थीं। आज भी सैकड़ों महिलाओं ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई। महिलाओं का कहना है कि कंपनी ने उनकी मेहनत की कमाई लूट ली और उन्हें कर्ज में धकेल दिया।
डायरेक्टर पर कार्रवाई, लेकिन पूरा गिरोह अभी भी सक्रिय
महिलाओं के लगातार प्रदर्शन और बढ़ते दबाव के चलते पुलिस को फ़्लोरा मैक्स के डायरेक्टर अखिलेश सिंह को हिरासत में लेना पड़ा। कोतवाली थाना प्रभारी मोतीलाल पटेल ने बताया कि अखिलेश सिंह से पूछताछ की जा रही है और कंपनी में शामिल अन्य लोगों की जानकारी जुटाई जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है। इस घोटाले में कई संभ्रांत परिवारों की महिलाएं भी शामिल बताई जा रही हैं, जो ग्रामीण महिलाओं को धोखा देकर उनका शोषण करती थीं। यहां तक कि एक नगर सैनिक की पत्नी भी इस गिरोह का हिस्सा बताई गई है, जिसकी शिकायत दर्ज कराई गई है।
पुलिस की जांच और अगली कार्रवाई
पुलिस ने कंपनी के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी का संकेत दिया है। जल्द ही फ़्लोरा मैक्स के पूरे नेटवर्क पर शिकंजा कसा जाएगा। यह घोटाला न केवल आर्थिक अपराध है, बल्कि सामाजिक असुरक्षा और विश्वासघात का बड़ा उदाहरण भी है।
इस घोटाले ने सैकड़ों महिलाओं की जिंदगी में अंधकार भर दिया है। आत्मनिर्भरता का सपना देखने वाली ये महिलाएं अब कर्ज और असुरक्षा के बोझ तले दबी हुई हैं। इनमें से कई महिलाएं अपने परिवार का आर्थिक भार उठाने वाली थीं। उनकी मेहनत की कमाई लूटकर उन्हें और उनके परिवारों को अस्थिरता और तनाव की स्थिति में धकेल दिया गया है।
प्रशासन से महिलाओं की एक ही अपील है—जल्द से जल्द पूरे गिरोह को गिरफ्तार कर उन्हें उनके पैसे वापस दिलाए जाएं। यह मामला न्याय व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा करता है। क्या पुलिस और प्रशासन महिलाओं की मेहनत की कमाई वापस दिलाने में सफल होंगे? यह आने वाले समय में साफ होगा।
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