कोरबा (पब्लिक फोरम)। कलेक्टर अजीत वसंत ने फ्लोरा कंपनी से ठगी का शिकार हुई महिलाओं और महिला समूहों के मामले में गंभीर कदम उठाते हुए छह सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। यह जांच दल यह पता लगाएगा कि बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों ने इन महिलाओं को लोन देने में शासकीय और भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है या नहीं।
जांच दल की संरचना और जिम्मेदारियां
जांच दल की अध्यक्षता अपर कलेक्टर कोरबा करेंगे। इसके अतिरिक्त दल में शामिल अन्य सदस्यों में यह भी शामिल रहेंगे।
1. प्रभारी अधिकारी, अल्प बचत जिला कार्यालय कोरबा।
2. जिला कोषालय अधिकारी।
3. अग्रणी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कोरबा के प्रबंधक।
4. उप आयुक्त और नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, नगर पालिक निगम कोरबा।
5. सहायक परियोजना अधिकारी, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (प्रभारी), जिला पंचायत कोरबा।
जांच दल को 15 दिनों के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
मामले की गंभीरता
फ्लोरा कंपनी पर ठगी के आरोपों ने जिले में हड़कंप मचा दिया है। कई महिलाएं और महिला समूह ठगी के शिकार हुए हैं, जिससे उनके आर्थिक हालात और मुश्किल हो गए हैं। कलेक्टर द्वारा गठित यह जांच दल यह सुनिश्चित करेगा कि दोषियों की जिम्मेदारी तय की जाए और पीड़ितों को न्याय मिले।
जांच दल का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या बैंक और माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के कर्मियों ने लोन प्रक्रिया में कोई अनियमितता की है। इस जांच से यह स्पष्ट होगा कि भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएं।
यह कार्रवाई ठगी की घटनाओं को रोकने और दोषियों पर सख्त कदम उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कलेक्टर अजीत वसंत का यह निर्णय महिलाओं के हितों की रक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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