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मंगलवार, जुलाई 1, 2025
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निकाय के अस्थाई कर्मचारियों के हक की लड़ाई: 14 दिनों के बाद समाधान की ओर बढ़ा मामला

कांकेर (पब्लिक फोरम)। नगरीय निकायों में कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग को लेकर 14 दिनों से जारी आंदोलन ने प्रशासन को आखिरकार कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया। जिलाधीश ने शुक्रवार को तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर समस्या के समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया। यह समिति अनुविभागीय अधिकारी, मुख्य नगरपालिका अधिकारी और श्रम पदाधिकारी के नेतृत्व में बनाई गई है, जो कर्मचारियों की समस्याओं का अध्ययन कर उचित समाधान का प्रस्ताव देगी।
जिले के छह नगरीय निकायों के करीब 350 अस्थाई कर्मचारी पिछले 14 दिनों से कामबंद कर धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि उन्हें नियमित किया जाए और उनकी सेवाओं को स्थाई रूप दिया जाए। आंदोलनरत कर्मचारियों का आरोप है कि प्रशासन और नगरपालिका के अधिकारी उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहे थे, जिससे उनकी पीड़ा और बढ़ गई।

यूनियन की पहल, सौंपा ज्ञापन
शुक्रवार को राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के महासचिव ओम प्रकाश देवांगन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधीश से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर तत्काल वार्ता शुरू करने और समाधान निकालने की अपील की गई। इसके बाद जिलाधीश ने समस्या की गंभीरता को समझते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन का आदेश दिया।

जांच समिति के गठन को सराहना
कर्मचारियों और यूनियन ने जिलाधीश के इस निर्णय को सकारात्मक और सराहनीय कदम बताया। यूनियन ने कहा कि यह पहल गतिरोध को खत्म करने और समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

कर्मचारियों के प्रति धमकियों की निंदा
यूनियन ने नगरपालिका के उन अधिकारियों की कड़ी आलोचना की, जो कर्मचारियों को काम से निकालने की धमकी दे रहे थे। महासचिव ओम प्रकाश देवांगन ने कहा, “समस्या का समाधान केवल संवाद से हो सकता है। धमकी और डराने की राजनीति केवल विवाद को और गहरा करती है।” यूनियन ने इस तरह की धमकियों को तुरंत बंद करने की मांग की है।
ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में सुखरंजन नंदी, नजीब कुरैशी, भाव सिंह कश्यप, द्वारका प्रसाद कोसरिया, श्रवण शर्मा, गीता तिवारी, कंचन शोरी, चंदर नेताम, भावेश कुमार, रेखा बाल्मीकि और जयश्री सिंहा जैसे प्रमुख सदस्य शामिल थे।
आंदोलन से उम्मीदें!
यूनियन और कर्मचारी अब जिलाधीश द्वारा बनाई गई समिति की रिपोर्ट और कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह कदम प्रशासन और आंदोलनकारी कर्मचारियों के बीच संवाद स्थापित करने और स्थायी समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अस्थाई कर्मचारियों के नियमितीकरण की यह लड़ाई न केवल उनके अधिकारों की मांग है, बल्कि एक न्यायपूर्ण व्यवस्था की स्थापना का भी प्रयास है। उम्मीद है कि जांच समिति का गठन इस विवाद को समाप्त कर कर्मचारियों को उनके हक दिलाने में सफल होगा।

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