गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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हाथियों के उत्पात से त्रस्त ग्रामीण-किसान: 18 सितंबर को करेंगे धरना प्रदर्शन!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले में हाथियों द्वारा मचाई जा रही तबाही से ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे चुका है। अपनी समस्याओं को लेकर उन्होंने कलेक्टर के नाम पर एसडीएम और वन विभाग को ज्ञापन सौंपा है और समस्या का समाधान न होने पर 18 सितंबर को धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

ग्रामीणों की चिंता
पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड के पसान रेंज के ऐतमा गांव के किसान हाथियों के उत्पात से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। उनकी मेहनत से उगाई गई फसलें हाथियों के झुंड से बर्बाद हो रही हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि हाथी उनकी फसल को रौंद देते हैं, जिससे उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है।

मुआवजे पर नाराजगी
किसानों का आरोप है कि संबंधित विभाग से उन्हें इस नुकसान का मुआवजा नहीं मिल रहा है। कई बार शिकायत करने के बाद भी उचित मुआवजे की राशि नहीं दी जा रही है, जिससे उनमें गहरा असंतोष है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही और प्रशासन की उदासीनता ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

धरने की चेतावनी
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो 18 सितंबर को चोटिया गांव में बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान ग्रामीणों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि और किसान नेता भी उपस्थित रहेंगे।

ज्ञापन सौंपने वाले प्रमुख ग्रामीण
ज्ञापन देने वालों में सरपंच शोभरण श्याम, वीरेंद्र मरकाम, बाबूलाल, धन सिंह मरकाम, प्रहलाद सिंह बिंझवार (पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष), मंतराम, उमेंद्र, सिद्धार्थ, त्रिलोचन, नारायण राजवाड़े, राम प्रसाद राजवाड़े, बुधराम, शिवचरण यादव और महेश जैसे ग्रामीण शामिल थे।

प्रशासन से अपील
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि वे इस गंभीर समस्या का शीघ्र समाधान करें और उन्हें उचित मुआवजा प्रदान करें। उनका कहना है कि अगर उनकी बातों को अनसुना किया गया, तो उन्हें मजबूरन विरोध का रास्ता अपनाना पड़ेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।

यह मामला न केवल किसानों की आजीविका से जुड़ा हुआ है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही को भी उजागर करता है। हाथियों द्वारा फसल बर्बाद होने की घटनाएं आए दिन सामने आती हैं, लेकिन सही मुआवजा न मिलने से किसानों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। प्रशासन और वन विभाग को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि किसान अपनी आजीविका को बचा सकें और उनके परिवारों को राहत मिल सके।

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