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बुधवार, जुलाई 23, 2025
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मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ किसानों का बढ़ेगा आक्रोश: 13 अगस्त को ‘कॉरपोरेट्स भारत छोड़ो’ दिवस, 26 नवंबर को विशाल प्रदर्शन

नयी दिल्ली (पब्लिक फोरम)। 20 जुलाई 2025 को हुई संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की जनरल बॉडी की बैठक में केंद्र सरकार की कृषि विरोधी और कॉरपोरेट-समर्थक नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा की गई। इस बैठक में 12 राज्यों के 37 किसान संगठनों के 106 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें मोदी सरकार द्वारा अमेरिकी दबाव में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर करने की आशंका, पुराने ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध और बिजली की बढ़ी हुई दरों को लेकर किसानों में गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया।

‘कॉरपोरेट्स भारत छोड़ो’ दिवस और ट्रंप-मोदी का पुतला दहन
एसकेएम ने 13 अगस्त 2025 को देश भर में “कॉरपोरेट्स भारत छोड़ो” दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है। एसकेएम को आशंका है कि मोदी सरकार अमेरिकी साम्राज्यवाद के दबाव में एफटीए पर हस्ताक्षर कर भारतीय अर्थव्यवस्था, खासकर कृषि, दुग्ध और खाद्य बाजार क्षेत्रों को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने की तैयारी कर रही है। यह एफटीए 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होने की संभावना है। 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ है, और इसी के विरोध में 13 अगस्त को किसान ट्रैक्टर/मोटर वाहन परेड निकालेंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाएंगे। इसका उद्देश्य जीएम खाद्य सहित खाद्य और दुग्ध उत्पादों के आयात में वृद्धि और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की घुसपैठ के खिलाफ एक जन चेतावनी जारी करना है।

किसानों की प्रमुख मांगें और राष्ट्रीय अभियान
बैठक में किसानों की कई प्रमुख मांगें रखी गईं, जिन पर ‘जीत तक संघर्ष’ का संकल्प लिया गया:

– मुक्त व्यापार समझौते का विरोध: कृषि क्षेत्र, खाद्यान्न उत्पादन और दुग्ध क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते और सस्ते आयात को अस्वीकार किया जाए।
– कॉरपोरेट समर्थक कानूनों की वापसी: संघीय अधिकारों को कमजोर करने और सरकारी कृषि बाजारों के कॉरपोरेट अधिग्रहण को बढ़ावा देने वाले कॉरपोरेट समर्थक एनपीएफएएम को रद्द किया जाए।
– एमएसपी और खरीद की गारंटी: सभी फसलों के लिए एमएसपी (सी2+50 फीसदी) और उसकी गारंटीकृत खरीद सुनिश्चित की जाए।
– कर्ज माफी: किसान और कृषि श्रमिकों के सभी वर्गों के लिए समग्र ऋण माफी, ताकि किसान आत्महत्याओं को रोका जा सके।
– भूमि अधिग्रहण पर रोक: अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण, भूमि पूलिंग योजनाएं और औद्योगिक मॉडल टाउनशिप पर रोक लगे, और भूमि अधिग्रहण पुनर्वास व पुनर्स्थापना अधिनियम 2013 का सही कार्यान्वयन हो।
– बिजली निजीकरण का विरोध: बिजली का निजीकरण नहीं, स्मार्ट मीटरों का थोपना नहीं और सभी ग्रामीण परिवारों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाए।
– पुराने ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध हटे: 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टरों पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाया जाए।

26 नवंबर को विशाल मजदूर-किसान प्रदर्शन
26 नवंबर 2025, जो 2020-21 के ऐतिहासिक किसान आंदोलन की 5वीं वर्षगांठ है, को एसकेएम ट्रेड यूनियन आंदोलन और कृषि श्रमिक आंदोलन के साथ समन्वय कर दिल्ली और राज्य की राजधानियों में विशाल मजदूर-किसान संयुक्त प्रदर्शन आयोजित करेगा। 15 अगस्त से 26 नवंबर तक एक राष्ट्रीय अभियान चलाया जाएगा, जो राष्ट्रीय एकता और जन एकता के लिए मजदूर-किसान एकता और हिंदू-मुस्लिम एकता के दो स्तंभों पर आधारित होगा। इस अभियान में व्यापक प्रचार-प्रसार और स्थानीय विरोध प्रदर्शन शामिल होंगे।

अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
– सिंगरौली के आदिवासी किसानों का समर्थन: एसकेएम आमसभा ने अदानी समूह की कोयला खदानों के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे सिंगरौली के आदिवासी किसानों के संघर्ष के प्रति पूर्ण एकजुटता व्यक्त की।
– पंजाब में ट्रैक्टर रैलियां: पंजाब में एसकेएम की इकाइयां 30 जुलाई को सभी जिलों में ट्रैक्टर रैलियां और 24 अगस्त को आप सरकार की नई भूमि पूलिंग नीति के खिलाफ एक विशाल महापंचायत आयोजित करेंगी।
– सम्पत्ति कर की मांग: बैठक ने केंद्र सरकार से शीर्ष 1% अति-धनाढ्य लोगों पर 2% कर लगाने, कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाने, संपत्ति कर और उत्तराधिकार कर को पुनः लागू करने की मांग की।
– कर्नाटक के किसानों की जीत: कर्नाटक के देवनहल्ली किसानों को 1198 दिनों के निरंतर संघर्ष के बाद भूमि संघर्ष में मिली जीत के लिए बधाई दी गई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निर्देशानुसार, 1774 एकड़ जमीन को जबरन अधिग्रहण से डीनोटिफाई कर दिया गया है।
– बिहार अभियान: एसकेएम नेतृत्व सितंबर 2025 में बिहार का दौरा करेगा, जिसका उद्देश्य भाजपा-एनडीए को उनकी कॉरपोरेट नीतियों के लिए सबक सिखाना है।
– मतदाता सूची और बिहार पुलिस पर सवाल: बैठक ने गरीब लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित करने वाले गहन मतदाता सूची संशोधन को रद्द करने और बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) कुथन कृष्णन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
– विदर्भ और हरियाणा-हिमाचल के किसानों का समर्थन: विदर्भ, महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या पीड़ित परिवारों के दौरे की तिथि तय की जाएगी, साथ ही हरियाणा के सोहना, मेवात और हिमाचल प्रदेश में किसानों के संघर्ष का समर्थन किया गया।

यह आंदोलन मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ किसानों के बढ़ते असंतोष को दर्शाता है और आने वाले महीनों में देश भर में तीव्र विरोध प्रदर्शनों का संकेत देता है।

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