रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ में इन दिनों फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला काफी गर्माया हुआ है। जिसे लेकर एससी/एसटी वर्ग के युवाओं का आंदोलन प्रदर्शन जारी है। फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में प्रदर्शन किया जा रहा है। फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में कार्रवाई की मांग की जा रही है। इस मामले में निर्वस्त्र प्रदर्शन की चेतावनी के बाद रात भर पुलिस धरपकड़ की कार्यवाही करती रही। फिर भी प्रदर्शन करने में युवा सफल रहे।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से राज्य के विभिन्न विभागों को शिकायतें मिली थी कि गैर आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षित वर्ग के कोटे का शासकिय नौकरियों एवं राजनैतिक क्षेत्रों में लाभ उठा रहे है।इस मामले की गम्भीरता देखते हुए राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति गठित की थी। जिसके रिर्पोट के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे अधिकारी कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पदों से हटाकर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
लेकिन ये आदेश खानापूर्ति ही साबित हुई। सरकारी आदेश को अमल में नहीं लाया गया और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वाले कुछ सेवानिवृत हो गए तो कुछ ने जांच समिति के रिर्पोट को न्यायलय में चुनौती दी, लेकिन सामान्य प्रशासन की ओर से जारी फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की लिस्ट में ऐसे अधिकांश लोग है जो सरकारी फरमान के अनुपालन नहीं होने का मौज काट रहे और प्रमोशन लेकर मलाईदार पदों में सेवाएं दे रहे हैं।
इसे लेकर अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं ने मोर्चा खोला और बीते पिछले दिनों वे आमरण अनशन पर बैठ गए। प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों की तबीयत भी बिगड़ गई, लेकिन सरकार और प्रशासन का रवैया उदासीन रहा। बाद में आंदोलनकारियों ने आमरण अनशन आंदोलन को स्थगित कर विधानसभा के मानसून सत्र में निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया।
ज्ञात हो कि घोषित तिथि के एक दिन पहले से ही अधिकांश युवा जो रायपुर आंदोलन में शामिल होने वाले थे उनको साइबर सेल के द्वारा ट्रेक करके पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रत्येक जिले के युवाओं को धर पकड़ कर सम्बन्धित थाने में बिठाया गया। फिर भी अधिकांश युवा आंदोलन के लिए रायपुर विधानसभा पहुंचकर अपने घोषणा के अनुसार निर्वस्त्र प्रदर्शन करने में सफल रहे।
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