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रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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किसान सभा की विस्तारित बैठक में किसानों के मुद्दों पर व्यापक चर्चा, सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार!

जांजगीर-चांपा (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय किसान सभा की विस्तारित बैठक 31 अगस्त 2024 को जांजगीर-चांपा के चांपा नगर स्थित कामरेड मुकेश वोहरा भवन (जिला कार्यालय, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) में संपन्न हुई। इस बैठक में कोरबा जिले से कामरेड राम मूर्ति दुबे, कामरेड कमलेश चौहान, और कामरेड आनंद सिंह समेत कई किसान नेता उपस्थित रहे। राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड राजन शिवसागर और मध्य प्रदेश के किसान सभा के साथी कामरेड जनक लाल राठौर ने मार्गदर्शन किया।

बैठक में राज्य के पांच जिलों जांजगीर-चांपा, रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, और सक्ती से कुल 60 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक की शुरुआत दिवंगत साथी अतुल कुमार अंजान, अखिल भारतीय किसान सभा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव, को श्रद्धांजलि अर्पित करने से हुई। कामरेड निसार अली ने छत्तीसगढ़ी जनगीत गाकर किसानों की समस्याओं को नाचा गम्मत शैली में प्रस्तुत किया। बैठक की अध्यक्षता कामरेड संतुदास महंत ने की और कार्यक्रम संचालन कामरेड सत्य नारायण कमलेश ने किया।राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड राजन शिवसागर ने सभी जिलों से आए किसानों से विस्तार से चर्चा की और उनके समस्याओं को गंभीरता से सुना। उन्होंने किसानों से जुड़े मुद्दों और देशभर में चल रहे किसान आंदोलनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना 1936 में हुई थी और तब से संगठन ने किसान हितों के लिए लगातार संघर्ष किया है। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण किसानों पर पड़ने वाले प्रभावों को भी रेखांकित किया।

कामरेड राजन ने बताया कि वर्तमान की मोदी सरकार किसानों के खिलाफ सबसे ज्यादा कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने तीन काले कानून लाकर किसानों को बर्बाद करने का प्रयास किया, जिसके खिलाफ देशभर के किसानों, खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, और यूपी के किसानों ने मिलकर आंदोलन किया और सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर किया। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार किसानों को हाशिये पर धकेलने के लिए उनके जल, जंगल, जमीन को अपने कॉरपोरेट मित्रों के हाथों में सौंप रही है।

कामरेड जनक लाल राठौर ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सिंचाई व्यवस्था के मुद्दों पर आंदोलन की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि इन राज्यों में आदिवासी समुदायों की संख्या अधिक है और उनके जल, जंगल, जमीन और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जरूरी है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड राजन शिवसागर ने सभी जिलों से आए किसानों से विस्तार से चर्चा की और उनके समस्याओं को गंभीरता से सुना। उन्होंने किसानों से जुड़े मुद्दों और देशभर में चल रहे किसान आंदोलनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना 1936 में हुई थी और तब से संगठन ने किसान हितों के लिए लगातार संघर्ष किया है। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण किसानों पर पड़ने वाले प्रभावों को भी रेखांकित किया।

कामरेड राजन ने बताया कि वर्तमान की मोदी सरकार किसानों के खिलाफ सबसे ज्यादा कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने तीन काले कानून लाकर किसानों को बर्बाद करने का प्रयास किया, जिसके खिलाफ देशभर के किसानों, खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, और यूपी के किसानों ने मिलकर आंदोलन किया और सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर किया। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार किसानों को हाशिये पर धकेलने के लिए उनके जल, जंगल, जमीन को अपने कॉरपोरेट मित्रों के हाथों में सौंप रही है।

कामरेड जनक लाल राठौर ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सिंचाई व्यवस्था के मुद्दों पर आंदोलन की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि इन राज्यों में आदिवासी समुदायों की संख्या अधिक है और उनके जल, जंगल, जमीन और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जरूरी है।

बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय
1. सितंबर-अक्टूबर तक राज्य के सभी जिलों में सम्मेलन और नई ब्रांचों का गठन किया जाएगा।
2. छत्तीसगढ़ राज्य का संगठनात्मक सम्मेलन 22 दिसंबर 2024 को चांपा में आयोजित होगा, जिसमें राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए राज्य के प्रतिनिधियों का चयन किया जाएगा।
3. सम्मेलन की तैयारी के लिए 11 सदस्यों की समन्वय समिति का गठन किया गया, जिसमें कामरेड कमलेश को संयोजक बनाया गया।

बैठक में विभिन्न जिलों के साथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही और उन्होंने अपने-अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक का उद्देश्य किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना और केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना था।

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