शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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कोरबा नगर निगम में स्वच्छता कर्मियों का शोषण: वेतन भुगतान में देरी और न्यूनतम मजदूरी का उल्लंघन

कोरबा (पब्लिक फोरम)। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के जिला सचिव पवन कुमार वर्मा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में नगर पालिका निगम कोरबा के ‘मिशन क्लीन सिटी’ के तहत कार्यरत स्वच्छता कर्मियों की दयनीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि इन कर्मचारियों को मई और जून महीने का वेतन अभी तक नहीं मिला है, जिससे उनके समक्ष गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।
कॉमरेड वर्मा ने कहा, “यह समय बच्चों के स्कूल में दाखिले, किताबें और कॉपियाँ खरीदने का है। किसान परिवारों को खाद और बीज खरीदने के लिए पैसों की सख्त जरूरत होती है। ऐसे में वेतन न मिलने से इन परिवारों की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है।”

उन्होंने स्वच्छता कर्मियों की कार्य परिस्थितियों पर भी प्रकाश डाला। “ये कर्मचारी महीने के तीसों दिन, बिना किसी साप्ताहिक अवकाश के काम करते हैं। छुट्टी लेने पर उनके वेतन में कटौती की जाती है। इतना ही नहीं, उन्हें मात्र 7,200 रुपये का मासिक वेतन दिया जाता है, जो न्यूनतम वेतन से भी कम है।”
कॉमरेड वर्मा ने शासन-प्रशासन की उदासीनता पर कटाक्ष करते हुए कहा, “इन कर्मचारियों को किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती। उनकी आवाज उठाने पर अमानवीय व्यवहार किया जाता है। यह न्यूनतम वेतन कानून का उल्लंघन है और लोगों को बंधुआ मजदूर बनाने जैसा असंवैधानिक कृत्य है।”

भाकपा नेता ने मांग की है कि इस अनियमितता को तत्काल दूर किया जाए और स्वच्छता कर्मियों का बकाया वेतन अविलंब जारी किया जाए। उन्होंने कहा, “हम शहर को स्वच्छ रखने वाले इन कर्मठ श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे।”
यह मामला न केवल श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के शोषण का भी ज्वलंत उदाहरण है। नगर निगम और राज्य सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और स्वच्छता कर्मियों के हित में त्वरित कार्रवाई करें।

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