रायपुर (पब्लिक फोरम)। बालको में पर्यावरण नियमों की अनदेखी के आरोप सही पाए गए हैं, जिसके चलते कंपनी प्रबंधन पर 14.29 लाख का जुर्माना लगाया गया है। यह जानकारी छत्तीसगढ़ विधानसभा में आवास एवं पर्यावरण संरक्षण मंत्री ओपी चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
पर्यावरण नियमों का उल्लंघन
फरवरी में विधानसभा के सत्र के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक ने इस मुद्दे को सदन में उठाया था। इसके बाद मंत्री चौधरी ने इस मामले की जांच का वादा किया था। कौशिक ने पूछा था कि बालको संयंत्र में नियमों के उल्लंघन की जांच किस प्रकार की जा रही है और समिति में कौन-कौन सदस्य शामिल हैं।
जांच समिति का गठन और निष्कर्ष
मंत्री चौधरी ने बताया कि 12 अप्रैल 2024 को बालको कोरबा के ताप विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न राख के भंडारण, परिवहन और अपवहन की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति के सदस्य थे:
1. अनूप कुमार बेहरे, अधीक्षण अभियंता, छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल, रायपुर।
2. आर. के. शर्मा, अधीक्षण अभियंता, छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल, रायपुर।
3. प्रमेन्द्र शेखर पाण्डेय, क्षेत्रीय अधिकारी, छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल, कोरबा।
समिति की जांच और निरीक्षण
समिति ने 1 और 2 मई 2024 को बालको के ताप विद्युत संयंत्रों, राखड़बांध और फ्लाई ऐश भराव स्थलों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई कमियां पाई गईं:
1. ऐश संग्रहण सायलो एरिया में अत्यधिक मात्रा में ऐश का जमाव।
2. ऐश डाइक मार्ग पर 20-30 टन राखड़ के ढेर, जिन पर मिट्टी की परत नहीं बिछाई गई थी।
3. ऐश डाइक के पॉण्ड 2 और 6 में पर्याप्त जल छिड़काव व्यवस्था का अभाव।
4. दो वाहनों द्वारा बिना तारपोलिन ढके परिवहन।
5. ग्राम बरबसपुर में ऐश के माध्यम से भू-भराव के बाद मिट्टी की परत बिछाने का कार्य प्रगति पर, परंतु पर्याप्त जल छिड़काव की कमी।
पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति और कार्यवाही
समिति की अनुशंसा पर उद्योग प्रबंधन के खिलाफ पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि अधिरोपित की गई और वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 31 ‘क’ के तहत नोटिस जारी किया गया। उद्योग प्रबंधन ने समाधान कारक कार्यवाही की जानकारी दी और 14.29 लाख रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि के रूप में जमा किए। 10 जून 2024 को निरीक्षण के दौरान समाधान कारक कार्यवाही की पुष्टि हुई।
यह घटना एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी के परिणामस्वरूप कठोर कार्रवाई की जा सकती है। बालको पर जुर्माना लगाकर एक संदेश दिया गया है कि पर्यावरण संरक्षण में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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