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मंगलवार, जुलाई 1, 2025
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पर्यावरण संकट: जटराज पोखरी का जल निकासी कर राखड़ भरने का विवादास्पद प्रयास अनुचित – नूतन ठाकुर

कोरबा (पब्लिक फोरम)। सर्वमंगला कनकी मार्ग स्थित ऐतिहासिक जटराज पोखरी का अस्तित्व गंभीर संकट में है। पिछले सप्ताह से एक निजी कंपनी द्वारा इस जल स्रोत से लाखों लीटर पानी निकालकर फेंका जा रहा है, जिसका उद्देश्य इस प्राकृतिक जलाशय में राखड़ भरना प्रतीत होता है। यह कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है और स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।

नगर पालिक निगम कोरबा के वार्ड क्रमांक 62 के अंतर्गत आने वाली जटराज पोखरी पूर्वकाल में एक खदान थी, परंतु खनन कार्य बंद होने के पश्चात् लगभग पाँच दशकों से यह एक विशाल जलाशय के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। आसपास के निवासी इस महत्वपूर्ण जल स्रोत पर अपनी दैनिक आवश्यकताओं के लिए पिछले 40-50 वर्षों से निर्भर हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान में 5-6 शक्तिशाली मोटर पंपों द्वारा इस अमूल्य जल संसाधन को निष्प्रयोजन बहाया जा रहा है।

नगर पालिक निगम कोरबा के सभापति श्री नूतनसिंह ठाकुर ने इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए जिला कलेक्टर एवं पर्यावरण संरक्षण अधिकारी को पत्र प्रेषित कर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि यह एक सुनियोजित षड्यंत्र प्रतीत होता है, जिसके तहत पोखरी को सूखाकर उसमें औद्योगिक राखड़ भरने की कोशिश की जा रही है।

श्री ठाकुर ने उल्लेख किया कि जबकि छत्तीसगढ़ शासन जल संरक्षण एवं नवीन तालाबों के निर्माण हेतु करोड़ों रुपये का निवेश कर रही है और प्राचीन जलाशयों के संवर्धन के लिए ‘सरोवर धरोहर योजना’ संचालित कर रही है, तब कोरबा में इसके विपरीत प्राकृतिक जल स्रोतों को नष्ट करने का अभियान चलाया जा रहा है।

विशेष चिंता का विषय यह है कि जटराज पोखरी हसदेव नदी के निकट स्थित है। वर्षाकाल में इस राखड़ के नदी में प्रवाहित होने से जल प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न होगी, जिससे न केवल पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी अपितु स्थानीय जन-जीवन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

सभापति श्री ठाकुर ने आरोप लगाया है कि निजी हितों की पूर्ति हेतु प्रशासनिक तंत्र को अंधेरे में रखकर पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की हैं।

1. पोखरी के जल निष्कासन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
2. यह जांच की जाए कि किसके अनुमोदन से यह कार्य संपादित किया जा रहा है।
3. दोषी कंपनी और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

पर्यावरणविदों का मानना है कि जल संरक्षण वर्तमान समय की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता है और जल स्रोतों के विनाश से उत्पन्न संकट अपरिवर्तनीय हो सकते हैं। ऐसे में प्रशासन का दायित्व है कि वह इस प्रकरण में शीघ्र हस्तक्षेप कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करे।

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