कोरबा (पब्लिक फोरम)। दुर्ग के आरोग्यम हॉस्पिटल में महिलाओं की निजता के उल्लंघन के मामले में वरिष्ठ पत्रकार द्वारा की गई शिकायत पर विवाद गहराता जा रहा है। मामले में पत्रकार पर झूठी एफआईआर दर्ज होने और पुलिस की कार्यवाही को लेकर पत्रकार समुदाय आक्रोशित है।
करीब पांच माह पहले, वरिष्ठ पत्रकार ने दुर्ग के सबसे बड़े आरोग्यम हॉस्पिटल में महिलाओं की निजता का उल्लंघन होने की शिकायत दुर्ग की कलेक्टर को की थी। यह शिकायत 3 जून को की गई थी और इसे दो बार दुर्ग की कलेक्टर महोदया के समक्ष उठाया गया। तत्कालीन नर्सिंग होम नोडल अधिकारी द्वारा की गई जांच में शिकायत सही पाई गई थी।
इसके बावजूद, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनोज दानी ने हॉस्पिटल पर कार्रवाई करने के बजाय इसे अनदेखा कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप झेला।
पत्रकार पर झूठी एफआईआर और पुलिस की भूमिका
इस मामले में आरोग्यम हॉस्पिटल ने कथित रूप से शिकायतकर्ता पत्रकार पर झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी। बिना किसी ठोस जांच के इस एफआईआर पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने पत्रकार समुदाय के विश्वास को ठेस पहुंचाई।
11 नवंबर को संयुक्त पत्रकार संगठन ने इस झूठी एफआईआर को रद्द करने और हॉस्पिटल पर नियमानुसार कार्रवाई की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना दिया। इस दौरान कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। लेकिन दुर्ग पुलिस ने धरने में शामिल पत्रकारों पर जिस दमनकारी ढंग से कार्रवाई की, उससे पुलिस की छवि पर गहरा दाग लगा है।
धरने के दौरान पुलिस द्वारा अपनाई गई कार्रवाई को लेकर पत्रकार सुरक्षा समिति ने कड़ी नाराजगी जताई है। पत्रकारों का कहना है कि प्रशासन को पहले से सूचित करने के बावजूद पुलिस ने ‘तानाशाही’ रवैया अपनाया। यह घटना पुलिस विभाग की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
पत्रकारों की मांग और मुख्यमंत्री को ज्ञापन
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति ने इस घटना के खिलाफ कोरबा कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में शांतिपूर्ण धरने को कुचलने वाले दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई, पत्रकार पर दर्ज झूठी एफआईआर को रद्द करने और सिटी कोतवाली प्रभारी व पुलिस अधीक्षक दुर्ग को निलंबित करने की मांग की गई है।
इस अवसर पर अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक साहू, कोरबा जिलाध्यक्ष अरुण साण्डे, संयोजक अजय राय और राकेश राजपूत मौजूद रहे। उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
यह घटना सिर्फ एक पत्रकार पर हमला नहीं है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी सीधा प्रहार है। सरकार और प्रशासन को इस मामले में पारदर्शिता और संवेदनशीलता दिखाते हुए उचित कदम उठाने होंगे। यह सुनिश्चित करना होगा कि पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान बनाए रखा जाए, ताकि वे बिना डर के सच्चाई को सामने ला सकें।
Recent Comments