पखांजूर (पब्लिक फोरम)। खरीफ सीजन की धान बुआई के समय पखांजूर इलाके के किसान खाद संकट से जूझ रहे हैं। आवश्यकतानुसार यूरिया और डीएपी खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। सहकारी समितियों से खाद लेने पहुंचे किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है, जबकि खुले बाजार में वही खाद महंगे दामों पर कालाबाजारी के जरिए बेची जा रही है।
वनाधिकार संघर्ष मंच के जिला अध्यक्ष महेश्वर शर्मा ने इस स्थिति के लिए केंद्र और राज्य की तथाकथित डबल इंजन सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए यह समय खाद की सबसे अधिक जरूरत का है, लेकिन सरकार की लापरवाही और गलत नीतियों के कारण किसान संकट में हैं।
शर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार किसान विरोधी है। उनका कहना है कि सरकार की नीतियां ही इस तरह की कृत्रिम कमी और कालाबाजारी को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार खाद कारखानों को बंद कर उत्पादन घटा रही है, ताकि महंगे दाम पर विदेशों से आयात किया जा सके। वहीं, खाद पर मिलने वाली सब्सिडी भी लगातार कम की जा रही है, जिससे कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं। इसके बावजूद किसानों को बढ़े हुए दाम पर भी खाद उपलब्ध नहीं हो रही है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो किसानों की लागत बढ़ेगी और फसलों के उचित दाम न मिलने की स्थिति में किसान तबाही की ओर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि “एक ओर लागत व्यय लगातार बढ़ रहा है और दूसरी ओर उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा, यह किसानों को पूरी तरह बर्बाद करने की साजिश है।”
श्री शर्मा ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं और दोषियों पर कठोर कार्यवाही हो। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि शासन-प्रशासन अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वाह करे, तो कोई व्यापारी कालाबाजारी करने की हिम्मत नहीं कर पाएगा।
उन्होंने किसानों के लिए जल्द ही पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने की भी जोरदार मांग की।
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