कोरबा (पब्लिक फोरम)। जिले के स्कूलों, छात्रावासों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अब बच्चों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। अब तक इन संस्थाओं में लकड़ी के चूल्हों पर खाना पकाया जाता था, जिससे निकलने वाला धुआं न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक था, बल्कि बच्चों और वहां काम करने वाली माताओं-बहनों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहा था। इस समस्या को सुलझाने के लिए जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) से 4900 से अधिक संस्थाओं में घरेलू एलपीजी गैस कनेक्शन दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही गैस रिफिलिंग के लिए भी लगभग 7.5 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। इस पहल का उद्देश्य संस्थाओं को धुएं से मुक्त करना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।
यह जानकारी 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर जिला उद्योग, वाणिज्य, व्यापार एवं श्रम मंत्री श्री लखन लाल देवांगन ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दी। मंत्री देवांगन ने कहा कि लकड़ी के चूल्हों पर खाना पकाने से न केवल अधिक पेड़ों की कटाई होती है, बल्कि इससे पर्यावरण पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। घरेलू गैस कनेक्शन से न केवल संस्थाओं में काम करने वाली महिलाओं को सुविधा मिलेगी, बल्कि उनका स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।
उन्होंने कहा, “परंपरागत तरीकों से खाना पकाने से होने वाले धुएं से निजात पाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे बच्चों को पौष्टिक भोजन जल्दी उपलब्ध होगा और माताओं-बहनों को धुएं से होने वाली बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी।”
डीएमएफ से बड़ी सहायता
डीएमएफ के अंतर्गत जिले के 2100 स्कूलों के लिए 1.5 करोड़ रुपये, 2600 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 2 करोड़ रुपये, और 200 छात्रावासों के लिए 13 लाख रुपये की राशि एलपीजी कनेक्शन के लिए आबंटित की गई है। कुल मिलाकर इस परियोजना पर 3.63 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा, शिक्षा विभाग के लिए 4 करोड़ रुपये, महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए 2.5 करोड़ रुपये, और आदिवासी विकास विभाग के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि वार्षिक गैस रिफिलिंग के लिए निर्धारित की गई है।
कार्यक्रम के दौरान, मंत्री देवांगन ने विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाले स्वसहायता समूहों को गैस सिलेंडर वितरित किए। इस मौके पर कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने बताया कि इस योजना से जिले के हजारों कर्मचारियों और बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
यह पहल कोरबा जिले में एक महत्वपूर्ण बदलाव की दिशा में उठाया गया कदम है, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है, बल्कि संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों और बच्चों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखती है। परंपरागत चूल्हों से निकलने वाला धुआं श्वसन संबंधी बीमारियों का प्रमुख कारण है, और इस प्रकार की योजना से इन समस्याओं का समाधान संभव है। डीएमएफ के माध्यम से इतने बड़े पैमाने पर गैस कनेक्शन उपलब्ध कराना एक अनुकरणीय प्रयास है, जो जिले के विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को साथ लेकर चलता है। हालांकि, इसके क्रियान्वयन की निगरानी और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
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