भारतीय संविधान अपनाने के 75 वर्ष पूरे, जनभागीदारी के साथ भव्य आयोजन
कोरबा (पब्लिक फोरम)। भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया था। इसी उपलक्ष्य में संविधान दिवस की हीरक जयंती का आयोजन संयुक्त आयोजन समिति गेवरा दीपका के तत्वाधान में दीपका के प्रगति नगर स्थित अंबेडकर पार्क स्मारक स्थल पर उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर सामाजिक संगठनों, समाज सेवकों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बाइक रैली और जनजागरूकता अभियान
कार्यक्रम की शुरुआत अंबेडकर पार्क से भव्य बाइक रैली निकालकर की गई। यह रैली प्रगति नगर, नगर पालिका कार्यालय, बेलटिकरी, सिरकी और दीपका के मुख्य बाजारों से होकर गुजरी। रैली के माध्यम से स्थानीय नागरिकों को संविधान के मूलभूत सिद्धांतों, जैसे कि समानता, स्वतंत्रता, न्याय और संसाधनों पर समान अधिकार, का संदेश दिया गया। बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान ने हवा, पानी, जंगल और जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के समान अधिकार को सुनिश्चित किया है।
कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष लाल साय मिरी और सचिव धरमलाल टंडन ने संविधान की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रस्तावना संविधान की आत्मा है, जो हमें एकता, अखंडता और न्याय के मार्ग पर प्रेरित करती है। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों को संविधान का पालन करते हुए राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने का संकल्प दिलाया।
“हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान” अभियान का शुभारंभ
इस अवसर पर “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान” टैगलाइन के तहत पूरे वर्ष अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। साथ ही, यह भी तय किया गया कि 6 दिसंबर को बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि विशेष श्रद्धांजलि और कार्यक्रमों के साथ मनाई जाएगी।
कार्यक्रम में डॉ. एस.के. मेश्राम, श्रीमती सुशीला डाहर, उमा गोपाल, जैनेंद्र कुर्रे, ललित महिलांगे, संतोष निराला, देव सिंह कुर्रे, सुरेश महिलांगे, शांति बंजारे, भरत लाल टंडन सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। सभी ने संविधान दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाने का समर्थन किया।
संविधान: समानता और अधिकारों का प्रतीक
इस आयोजन ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा है। यह नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का प्रतीक है, जो हमें हर परिस्थिति में लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।
संविधान: समानता और अधिकारों का प्रतीक
इस आयोजन ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा है। यह नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का प्रतीक है, जो हमें हर परिस्थिति में लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।
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