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रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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देशभर के पत्रकारों की सुरक्षा और अधिकारों की मांग: ऑल इंडिया मीडिया कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने उठाई आवाज!

‘वन नेशन, वन जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट’ की उठी मांग

बिलासपुर (पब्लिक फोरम)। राजधानी दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय ऑल इंडिया मीडिया कॉन्फ्रेंस में भाग लेकर लौटे छत्तीसगढ़ के पत्रकारों का बिलासपुर में भव्य स्वागत किया गया। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में 21 और 22 सितंबर को आयोजित इस राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में देशभर के 20 राज्यों से आए पत्रकारों ने हिस्सा लिया। इस दौरान पत्रकारों ने अपने हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर जोरदार तरीके से अपनी बात रखी।

कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य और प्रमुख मुद्दे

इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य देशभर के पत्रकारों को एक मंच पर लाकर उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट करना था। साथ ही, सरकार से ‘वन नेशन, वन जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट’ की मांग की गई, ताकि छोटे और मध्यम स्तर के पत्रकारों के साथ हो रहे भेदभाव, अत्याचार, शोषण और अपमान जैसी घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।

पत्रकारों की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में, पत्रकारों की स्थिति काफी चिंताजनक है। छोटे और मध्यम स्तर के पत्रकार, जो वास्तव में जमीनी स्तर पर नदी-नालों, पहाड़ों और दुर्गम इलाकों में जाकर जनहित के मुद्दों पर काम कर रहे हैं, उन्हें प्रशासन और सरकार द्वारा अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। इन पत्रकारों को जोखिम भरे कार्यों के बावजूद न तो पर्याप्त सुरक्षा मिलती है और न ही कोई सुविधाएं।

पत्रकारों की मांगें:

इस दौरान पत्रकारों ने कई अहम मांगें रखीं, जिनमें प्रमुख हैं:

1. जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा: पत्रकारों को 50 लाख का जीवन बीमा और 20 लाख का दुर्घटना बीमा दिया जाए।

2. पत्रकार सुरक्षा कानून: तत्काल प्रभाव से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए और महिला पत्रकारों के लिए प्रोटेक्शन सेल का गठन हो।

3. आर्थिक सहयोग: नॉन-गारंटी के तहत पत्रकारों को 5 लाख तक का MSME और सरकारी लोन उपलब्ध कराया जाए।

4. भूमि आवंटन और पेंशन: अधिस्वीकृत और गैर-अधिस्वीकृत पत्रकारों को रियायती दरों पर भूखंड और बुजुर्ग पत्रकारों को 20,000 रुपये की पेंशन का प्रावधान किया जाए।

5. सरकारी नियुक्ति और वेतन: अधिस्वीकृत पत्रकारों को जिले के अन्य विभागों में APRO पद पर नियुक्ति और उच्च वेतन से जोड़ा जाए।

6. न्यूनतम शिक्षा शुल्क में छूट: पत्रकारों के परिवार और बच्चों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश शुल्क पर न्यूनतम 25% या अधिक छूट का लाभ दिया जाए।

7. कानूनी सहायता: पत्रकारों के कानूनी अनुसंधान के लिए महानिरीक्षक रेंज पर कमेटी का गठन किया जाए, और निर्दोष पाए जाने पर राजकीय अनुदान नकद 10 लाख देने का प्रावधान हो।

8. पत्रकार कल्याण कोष का गठन: राज्य सरकार द्वारा पत्रकार कल्याण कोष का गठन कर लाभान्वित किया जाए।

पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, जो आम जनता की आवाज़ को सत्ता के गलियारों तक पहुंचाने का कार्य करता है। लेकिन, आज की स्थिति में छोटे और मध्यम स्तर के पत्रकारों को वह सम्मान और सुरक्षा नहीं मिल रही, जिसके वे हकदार हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे पत्रकारों की मांगों को गंभीरता से लेते हुए उनके लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करें।

‘वन नेशन, वन जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट’ की मांग अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे लागू कर सरकार न केवल पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है, बल्कि लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ को सशक्त बना सकती है। इसके अलावा, पत्रकारों के लिए बीमा, पेंशन, कानूनी सहायता, आर्थिक सहयोग और शिक्षा में छूट जैसी मांगें भी तर्कसंगत हैं। यह समय की जरूरत है कि सरकार पत्रकारों की इन मांगों पर गंभीरता से विचार करे और उन्हें जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास करे।

इस प्रकार की कॉन्फ्रेंसें न केवल पत्रकारों को एकजुट करती हैं, बल्कि उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता भी फैलाती हैं। पत्रकारों को उनकी भूमिका और महत्व के अनुसार सम्मान मिलना चाहिए, ताकि वे बिना किसी भय के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।

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