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रविवार, जनवरी 12, 2025
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पेंड्रावन जलाशय बचाने की मांग: “हम अपने घरों को जलाकर दूसरे का चिराग नहीं रोशन कर सकते” – विधायक अनुज शर्मा

रायपुर (पब्लिक फोरम)। जल संसाधन विभाग द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में पेंड्रावन जलाशय को खनन से बचाने की पुरजोर मांग उठाई गई। यह बैठक बंगोली स्थित रेस्ट हाउस में आयोजित की गई, जिसमें धरसीवा विधायक अनुज शर्मा, पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल, जिला पंचायत सदस्य सोना वर्मा, पेंड्रावन जलाशय बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अनिल नायक और अन्य प्रमुख जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया।

बैठक का उद्देश्य जलाशय के कैचमेंट क्षेत्र में खनन की अनुमति पर चर्चा करना था, जो इस क्षेत्र के जल स्रोतों और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है। इस मुद्दे पर जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सभी प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर जलाशय को बचाने की अपील की।

विधायक अनुज शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, “हम अपने घरों को जलाकर दूसरों का चिराग नहीं रोशन कर सकते।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इस जलाशय को बचाना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल सिंचाई के लिए, बल्कि स्थानीय लोगों की निस्तारी जरूरतों के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने चेताया कि कैचमेंट क्षेत्र में जल स्रोतों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।

पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल ने बैठक में बताया कि दो बार जल संसाधन मंत्री ने जन भावनाओं का सम्मान करते हुए खनन की NOC निरस्त की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि खनन की अनुमति दी गई, तो जलाशय का विनाश तय है। उन्होंने पुराने उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि कंपनियां अक्सर परियोजना के शुरुआती वादों से मुकर जाती हैं, जैसे सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र में दशकों बाद भी प्रभावितों को रोजगार नहीं मिला है।

ललित बघेल ने कहा, “हमें खनन या जलाशय में से एक को चुनना पड़ेगा।” उन्होंने बताया कि यह जलाशय 2600 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र के साथ-साथ आसपास के दो प्रमुख नालों के जरिए भूमिगत जल को भी रिचार्ज करता है, जिससे दर्जनों गांवों को पानी मिलता है। खनन की अनुमति से यह सारा प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है।

आलोक शुक्ला ने विभागीय अधिकारियों के विचारों को सामने रखते हुए कहा कि जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी से लेकर मुख्य अभियंता तक ने खनन के लिए NOC देने का विरोध किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी उपाय के बावजूद खनन से जलाशय की जल संग्रहण क्षमता बेहद कम हो जाएगी, जिससे सरगांव और खरोरा क्षेत्रों में गंभीर जल संकट उत्पन्न होगा।

जिला पंचायत सदस्य सोना वर्मा ने भावनात्मक रूप से कहा, “यह जलाशय हमारे पुरखों की धरोहर है, जिसे हम खत्म नहीं होने देंगे।” उन्होंने याद दिलाया कि 2017 में भी इस जलाशय को बचाने के लिए उन्होंने गांव-गांव पैदल मार्च किया था और आज भी इसके संरक्षण के लिए संकल्पित हैं।

संघर्ष समिति के अध्यक्ष अनिल नायक ने सरकार से अपील की कि जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए जलाशय को बचाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसान और स्थानीय लोग किसी भी कीमत पर जलाशय के विनाश की अनुमति नहीं देंगे।

संरक्षक उधोराम वर्मा ने अपनी चिंता व्यक्त की कि एक छोटी सी खदान भी तालाब का पानी सुखा देती है। उन्होंने बताया कि हाल ही में किसानों ने इस मुद्दे पर एकजुट होकर राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर संघर्ष किया था। सरपंच हेमंत ठाकुर ने भी यह कहा कि गर्मी के मौसम में जब गंगरेल बांध से पानी नहीं आता, तब यही जलाशय निस्तारी जल का प्रमुख स्रोत बनता है।

इस पूरे मुद्दे में सबसे अहम बात यह है कि खनन और जल संरक्षण के बीच संतुलन बनाना बेहद जरूरी है। पेंड्रावन जलाशय न केवल सिंचाई और निस्तारी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र के जल स्रोतों को रिचार्ज भी करता है। खनन से जलाशय की जल संग्रहण क्षमता घटेगी और यह इलाके में जल संकट को बढ़ावा देगा।

सरकार को यहां जन भावनाओं का सम्मान करते हुए पारदर्शिता से निर्णय लेना होगा। यह मामला न केवल पर्यावरण संरक्षण का है, बल्कि इसमें स्थानीय लोगों की आजीविका और क्षेत्रीय जल आपूर्ति का भी सवाल है। साथ ही, जलाशय को बचाने के लिए जनता का आंदोलन और संघर्ष यह दर्शाता है कि इस मुद्दे पर लोगों की भावनाएं कितनी गहरी हैं।

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