छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा इस वर्ष की खरीफ फसलों के लिए घोषित समर्थन मूल्य को सी-2 लागत से भी कम बताया है और कहा है कि समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी पेट्रोल-डीजल-बीज-खाद-दवाई के मूल्य में बढ़ोतरी के कारण कृषि लागत में हुई वृद्धि की भी भरपाई नहीं करती।
अपनी त्वरित प्रतिक्रिया में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि जिस तरीके से अनाज मगरमच्छों के मुनाफे के लिए किसानों की फसलों को लूटने के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया गया है, उससे देशव्यापी किसान आंदोलन की इस मांग को ही बल मिलता है कि समर्थन मूल्य का आधार सी-2 लागत होना चाहिए, न कि एफ-2 लागत। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य एफ-2 लागत पर आधारित है और पूरी तरह से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ है। इस मूल्य पर तो खेती-किसानी की लागत भी नहीं निकलने वाली है, किसानों की आय दुगुनी करने का दावा तो जुमला ही बनकर रह गया है।
किसान सभा नेताओं ने कहा है कि पिछले वर्ष की तुलना में धान, मक्का तथा दलहन की कीमतों में औसतन केवल 5% की ही वृद्धि की गई है, जबकि ग्रामीण महंगाई दर 8.38% चल रही है और वे अपनी आय का 50% केवल खाने-पीने पर ही खर्च करते हैं। अतः यह समर्थन मूल्य छत्तीसगढ़ के किसानों को तबाह करेगा और उनके जीवन- स्तर में गिरावट लाएगा। इससे कोरोना के समय से अर्थव्यवस्था में चल रही मंदी और तेज होगी।
किसान सभा नेताओं ने कहा है कि मोदी सरकार की किसान विरोधी, गरीब विरोधी नीतियों के खिलाफ और सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य घोषित करने का कानून बनाने की मांग पर संघर्ष तेज किया जाएगा।
सी-2 लागत के बराबर भी नहीं है घोषित समर्थन मूल्य -किसान सभा
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