कोरबा (पब्लिक फोरम)। महिला एवं बाल विकास विभाग, कोरबा द्वारा किशोरी बालिकाओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण साइबर सुरक्षा एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन मेडिकल छात्रावास, कोरबा में किया गया। यह आयोजन “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजना के अंतर्गत जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
इस कार्यशाला में मेडिकल छात्रावास की सभी छात्राओं के साथ-साथ स्टाफ सदस्य भी शामिल हुए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किशोरियों को तेजी से बदलते डिजिटल युग में ऑनलाइन अपराधों से सतर्क करना तथा उनके अधिकारों और सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक बनाना था।

साइबर अपराधों से सतर्कता पर विस्तृत मार्गदर्शन
पुलिस विभाग के मास्टर ट्रेनर एवं साइबर विशेषज्ञों ने वर्तमान समय में हो रही ऑनलाइन ठगी, डिजिटल अरेस्ट, महंगे गिफ्ट का झांसा, शीघ्र लोन दिलाने वाले फर्जी ऐप्स, तथा सोशल मीडिया पर AI की मदद से की जा रही धोखाधड़ी जैसे मुद्दों पर गहराई से प्रकाश डाला।
छात्राओं को बताया गया कि वे अजनबी लिंक, अनधिकृत एप्लिकेशन, व नकली प्रोफाइल से कैसे बचें, और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल साइबर सेल या संबंधित विभागों को कैसे दें।

महिलाओं और बालिकाओं के अधिकारों की जानकारी
महिला संरक्षण अधिकारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से पैरा लीगल वॉलंटियर के माध्यम से छात्राओं को घरेलू हिंसा, भ्रूण हत्या निषेध, बाल विवाह, पॉक्सो एक्ट, और आकस्मिक घटनाओं से बचाव हेतु कानूनी अधिकारों और प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई।
छात्राओं को यह भी बताया गया कि किसी भी आपात स्थिति में वे किस तरह से महिला हेल्पलाइन 181, बाल हेल्पलाइन 1098, और वन स्टॉप सेंटर सखी से सहायता प्राप्त कर सकती हैं।

मिशन शक्ति और विभागीय योजनाओं की जानकारी
कार्यक्रम के दौरान मिशन शक्ति के अंतर्गत संचालित प्रमुख योजनाओं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सखी वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, और बाल संरक्षण सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

इस अवसर पर साइबर एक्सपर्ट डेमन ओग्रे, विरकेश्वर प्रताप सिंह, तथा श्याम सिदार (साइबर सेल) उपस्थित रहे। साथ ही महिला संरक्षण अधिकारी श्रीमती रजनी मारिया, जिला मिशन समन्वयक श्रीमती रत्ना नामदेव, सविता बजरंगी, तथा पैरा लीगल वॉलंटियर श्रीमती उमा नेताम की सक्रिय सहभागिता रही।
यह कार्यक्रम किशोरियों के लिए अत्यंत लाभकारी एवं प्रेरणादायक सिद्ध हुआ। बदलते डिजिटल परिदृश्य में ऐसी जागरूकता पहल न केवल साइबर अपराधों से सुरक्षा की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि बालिकाओं को आत्मविश्वास के साथ अपने अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में भी सशक्त बनाती है।
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