कोरबा (पब्लिक फोरम)। भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) की एक नई विकास परियोजना के कारण इंदिरा मार्केट, पाड़ीमार, बालको नगर क्षेत्र के 440 वृक्षों का अस्तित्व संकट में है। ये पेड़ न केवल स्थानीय निवासियों को छाया और फल प्रदान करते हैं, बल्कि अनगिनत पक्षियों के आवास भी हैं।
बालको के द्वारा तैयार की गई बहुमंजिली इमारत की परियोजना ने पर्यावरण संरक्षण की चुनौती खड़ी कर दी है। विकास के नाम पर हो रही इस “हरित हत्या” से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान होने की आशंका है।
मीडिया की चुप्पी पर सवाल
अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान ने इस मुद्दे पर स्थानीय मीडिया की भूमिका पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कोरबा में अनेक न्यूज चैनल, पोर्टल्स और सैकड़ों सक्रिय पत्रकार होने के बावजूद इस “हरित नरसंहार” पर मौनता बनी हुई है।
“लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से अपेक्षा है कि वे केवल चमकदार इमारतों की रोशनी में ही न दिखें, बल्कि पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उजागर करें,” खान ने कहा।
पर्यावरणीय प्रभाव की चिंता
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में वृक्षों की कटाई से:
– वायु गुणवत्ता में गिरावट आएगी
– स्थानीय तापमान में वृद्धि होगी
– पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट होंगे
– भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वातावरण की समस्या बढ़ेगी।
अधिवक्ता खान ने नागरिकों से अपील करते हुए कहा, “विकास की दौड़ में वृक्षों के जीवन की कीमत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज की खामोशी कल इतिहास में अपराध बन सकती है।”
यह मामला पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन की आवश्यकता को दर्शाता है। स्थानीय प्रशासन, बालको प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण समूहों के बीच संवाद की तत्काल आवश्यकता है।
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