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ईरान पर इज़रायली हमले की भाकपा (माले) ने की कड़ी निंदा: भारत सरकार से चुप्पी तोड़ने की अपील

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन (भाकपा माले) ने ईरान पर इज़रायली राज्य द्वारा किए गए ताज़ा सैन्य हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। पार्टी ने 13 जून को हुए इस बड़े पैमाने के हमले को अमेरिका-इज़राइल गठबंधन की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा बताया है, जिसका मक़सद पश्चिम एशिया को अस्थिर करना और इस क्षेत्र पर साम्राज्यवादी दबदबा कायम करना है।

भाकपा (माले) ने अपने बयान में कहा है कि गाज़ा में जारी जनसंहारी युद्ध के बीच, वैश्विक अलगाव और घरेलू असंतोष से जूझ रही धुर-दक्षिणपंथी नेतन्याहू सरकार अब ईरान को निशाना बनाकर और लेबनान, यमन, सीरिया समेत पूरे क्षेत्र को धमकाकर युद्ध का दायरा बढ़ा रही है, ताकि वह अपने अंदरूनी संकट से ध्यान भटका सके।

पार्टी ने इज़राइल के इस तथाकथित “पूर्व-निवारक” हमले को अमेरिकी साम्राज्यवाद की पुरानी पटकथा का दोहराना बताया है, ठीक वैसे ही जैसे 2003 में इराक पर “डब्लूएमडी” (सामूहिक विनाश के हथियारों) के झूठे बहाने से हमला किया गया था।

भाकपा (माले) का कहना है कि इस खतरनाक मोड़ की शुरुआत 2018 में ट्रंप प्रशासन द्वारा ‘संयुक्त व्यापक कार्ययोजना (JCPOA) से एकतरफा वापसी से हुई थी, जिसने उस समय की एक व्यापक कूटनीतिक सहमति को तोड़ दिया और क्षेत्रीय तनाव को फिर से भड़का दिया। इसके बाद से ईरान को आर्थिक प्रतिबंधों, तोड़फोड़ और लक्षित हत्याओं का लगातार सामना करना पड़ा, जो अब खुले सैन्य हमलों में तब्दील हो चुका है।

बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अमेरिका-इज़राइल की साम्राज्यवादी जोड़ी पश्चिम एशिया को युद्ध की आग में झोंककर संप्रभु देशों को कुचलना और इस पूरे क्षेत्र के ऊर्जा संसाधनों व भू-राजनीतिक नक्शे पर नियंत्रण हासिल करना चाहती है।

भाकपा (माले) ने इज़राइल की इस हरकत को केवल पश्चिम एशिया ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। पार्टी के अनुसार, इज़राइल अमेरिका के समर्थन से खुलेआम अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का उल्लंघन कर एक दुष्ट आपराधिक राज्य बन गया है।

पार्टी ने भारत सरकार से अपनी चुप्पी तोड़ने और इज़राइल को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने की अपील की है। भाकपा (माले) का मानना है कि चुप्पी और निष्क्रियता, इज़राइल-अमेरिका के बढ़ते मानवता विरोधी अपराधों में भागीदारी मानी जाएगी और भारत को इस अपराधी गठबंधन से अपने को अलग करना होगा।
(यह बयान भाकपा (माले) की केन्द्रीय कमेटी द्वारा जारी किया गया है।)

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