उत्तराखंड (पब्लिक फोरम)। प्रसिद्ध लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय तथा कश्मीर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ 14 साल पुराने मामले में UAPA के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दिये जाने पर भाकपा माले ने 20 जून को लालकुआं तहसील परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति को तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया।
ज्ञापन में कहा गया कि अरुंधति रॉय और डॉ. शौकत हुसैन के खिलाफ 2010 के मामले में UAPA के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देना हैरान करने वाला और अनुचित निर्णय है। 14 वर्षों बाद इस प्रकार की अनुमति देना कानून का पालन नहीं, बल्कि सत्ता द्वारा अपने विरोधियों पर दमनकारी शक्तियों का दुरुपयोग है। सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने के कारण UAPA के तहत मुकदमा चलाना और वह भी 14 साल बाद, स्वीकार्य नहीं हो सकता।
भाकपा माले के जिला सचिव डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा, “यह मामला स्पष्ट रूप से भिन्न विचार रखने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। वर्तमान केंद्र सरकार अपने विरोधियों को इस प्रकार के मामलों में फंसाकर उन्हें बिना मुकदमे के जेल में रखने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित कर रही है। अरुंधति रॉय और डॉ. शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देना एनडीए सरकार के इस कार्यकाल की पहली कार्यवाही है, जो यह दर्शाता है कि यह सरकार दमनकारी कानूनों का दुरुपयोग जारी रखेगी।”
राष्ट्रपति को भेजे गए तीन सूत्रीय ज्ञापन
1. अरुंधति रॉय और डॉ. शौकत हुसैन के खिलाफ UAPA के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति को तुरंत रद्द किया जाए।
2. UAPA जैसे दमनकारी कानूनों को समाप्त किया जाए।
3. राजनीतिक दुराग्रह और मतभिन्नता के चलते गिरफ्तार किए गए सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए।
इस विरोध प्रदर्शन में भाकपा माले के जिला सचिव डॉ. कैलाश पाण्डेय, आइसा जिलाध्यक्ष धीरज कुमार, वरिष्ठ नेता विमला रौथाण, कमल जोशी, निर्मला शाही, बिशन दत्त जोशी, आनंद सिंह दानू, त्रिलोक राम, माया देवी, बी एस आजाद, विशाल, और आयशा सहित अन्य कई लोग शामिल हुए।
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