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शुक्रवार, जनवरी 31, 2025
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भाकपा (माले) ने की फुलवारी विधायक के अपमान की कड़ी निंदा: 29 जनवरी को पटना में होगा व्यापक प्रदर्शन!

“जातिसूचक टिप्पणी पर बवाल, संविधान विरोधी मानसिकता का पर्दाफाश”

फुलवारी शरीफ (पब्लिक फोरम)। भारतीय संविधान की उद्देशिका के शिलापट्ट के उद्घाटन के दौरान दलित विधायक गोपाल रविदास को रोकने और जातिसूचक टिप्पणी करने की घटना पर भाकपा (माले) ने कड़ा विरोध जताया है। यह घटना 26 जनवरी 2025 को फुलवारी शरीफ के कुर्थौल में हुई, जहां स्कूल भवन के उद्घाटन समारोह में भाजपा समर्थित सामंती-अपराधी ताकतों ने विधायक को दलित होने का हवाला देकर अपमानित किया और उद्घाटन से रोक दिया।

विरोध मार्च और कानूनी कार्रवाई
भाकपा (माले) के राज्य सचिव कुणाल ने इस घटना को संविधान विरोधी करार देते हुए दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की मनुवादी मानसिकता का प्रतीक है। घटना के विरोध में फुलवारी शरीफ में ईशोपुर नहर से थाना चौक तक विरोध मार्च निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में समर्थकों ने हिस्सा लिया। इस मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया है।

मसौढ़ी में तिरंगे का दुरुपयोग और हिंसा
भाजपा-आरएसएस समर्थकों पर मसौढ़ी में मोटरसाइकिल जुलूस के दौरान तिरंगे का दुरुपयोग करते हुए मुस्लिम समुदाय को उकसाने का आरोप है। जुलूस के बाद एक मुस्लिम युवक पर चाकू से हमला कर दिया गया, जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई।

संविधान विरोधी मानसिकता पर सवाल
भाकपा (माले) ने इन घटनाओं को भाजपा की दलित और अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। भाकपा (माले) का कहना है कि जब एक दलित विधायक के साथ ऐसा व्यवहार किया जा सकता है, तो आम लोगों की स्थिति और खराब हो सकती है।

पटना में 29 जनवरी को बड़ा प्रदर्शन
इन घटनाओं के खिलाफ भाकपा (माले) ने 29 जनवरी को पूरे पटना जिले में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। पार्टी ने जनता से इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेने और संविधान की रक्षा के लिए आवाज उठाने की अपील की है।

फुलवारी शरीफ के विरोध मार्च का नेतृत्व प्रखंड सचिव गुरुदेव दास ने किया। महागठबंधन के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस घटना की निंदा की और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 24 घंटे के भीतर दोषियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने की मांग की।

यह घटना संविधान और सामाजिक न्याय के मूल्यों पर हमला है। भाकपा (माले) ने इसे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए निर्णायक संघर्ष बताया है। जनता ने मनुवादी मानसिकता को खारिज करने और न्याय के लिए एकजुट होने का संकल्प लिया है।

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